इंफाल, 3 अप्रैल (आईएएनएस)। नक्सलियों ने रविवार को कहा कि उन्होंने यहां मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर के आवास पर एक ग्रेनेड फेंका है। उनका कहना है कि संस्थान में व्याप्त भ्रष्टचार के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के चिकित्सा अधीक्षक एवं बायोकेमेस्ट्री विभाग के प्रोफेसर एम. अमुबा सिंह के आवास पर शुक्रवार की रात यह हमला हुआ। इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। वहां खड़े कुछ वाहन थोड़े क्षतिग्रस्त हो गए।
रिम्स मेडिकल कॉलेज और अस्पताल है। इसके परिसर में प्रोफेसर का आवास है, जिस पर ग्रेनेड फेंका गया। रिम्स की सुरक्षा में हथियारबंद अर्धसैनिक बल के जवान तैनात रहते हैं।
माओवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए एक बयान में कहा है, “नर्सो की नियुक्ति में भ्रष्टाचार हुआ है। प्रश्न पत्र भी लीक हुए हैं। एक जांच कमेटी भी गठित की गई थी लेकिन जांच में क्या निष्कर्ष निकला, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। “
संगठन ने संस्थान में भ्रष्टाचार के लिए रिम्स की निदेशक एस. रीता देवी, उप निदेशक वाई राजेंद्र सिंह और अमुबा सिंह को जिम्मेदार ठहराया है।
नक्सलियों का कहना है कि उनका यह ग्रेनेड हमला ‘रिम्स में व्याप्त भ्रष्टाचार’ के खिलाफ है, इसे वसूली के प्रयास के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
रिम्स सूत्रों का कहना है कि जांच समिति ने नर्सो की नियुक्ति में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं पाई थी। नवनियुक्त नर्सो ने कार्यभार ग्रहण भी कर लिया है।
रिम्स की निदेशक रीता देवी सहित कर्मचारियों ने ग्रेनेड हमले के विरोध में शनिवार को धरना दिया।
रीता देवी ने कहा कि मरीजों के बीच भय का माहौल नहीं पैदा किया जाना चाहिए।
यह संस्थान वर्ष 2014 में तब घोटाले की वजह से चर्चा में आया था जब सीबीआई ने दंत चिकित्सा के काम आने वाली कुर्सियों की खरीद में घोटाले को लेकर कुछ शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
इस घोटाले के सामने आने के बाद संस्थान के निदेशक एस.सेखरजीत सिंह को पद से हटा दिया गया था और उनकी जगह रीता देवी को निदेशक बनाया गया था।