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मणिपुर: ताज़ा हिंसा के बाद लगे कर्फ्यू के बीच छात्रों का प्रदर्शन

September 11, 2024 7:06 pm by: Category: ख़बरें अख़बारों-वेब से Leave a comment A+ / A-

हिंसाग्रस्त मणिपुर में छात्रों द्वारा डीजीपी और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांगों को लेकर इंफाल में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के साथ झड़पों में 40 से अधिक छात्र घायल हुए हैं. पुलिस का कहना है कि राज्य में बुधवार को स्थिति तनावपूर्ण, मगर नियंत्रण में है.

नई दिल्ली: सालभर से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में ताजा हिंसा के बाद कर्फ्यू और इंटरनेट प्रतिबंध लगाए गए हैं. इसी दौरान मंगलवार (10 सितंबर) को 40 से अधिक छात्र सुरक्षा बलों के साथ झड़पों में घायल हो गए, जब उन्होंने डीजीपी और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की अपनी मांगों को लेकर इंफाल में राजभवन की ओर मार्च करने का प्रयास किया.

पुलिस ने बताया कि हजारों छात्रों और महिला प्रदर्शनकारियों ने इंफाल में बीटी रोड पर राजभवन की ओर मार्च करने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस भवन के पास सुरक्षा बलों ने उन्हें रोक दिया.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए और सुरक्षाकर्मियों पर पत्थर और कांच के मार्बल फेंके, जिसके चलते पुलिसकर्मियों को उन्हें तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े.

मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी विरोध रैली निकाली और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का पुतला फूंका. उन्होंने बताया कि बाद में वे राज्य सचिवालय की ओर बढ़े, लेकिन उन्हें इंफाल पश्चिम जिले के काकवा में रोक दिया गया. ये छात्र मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने में कथित रूप से असमर्थता के लिए डीजीपी और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को हटाने की मांग कर रहे हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘झड़पों में 40 से अधिक छात्र घायल हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है.’

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रों के एक संगठन ने दावा किया कि मंगलवार को झड़पों में 55 से अधिक छात्र घायल हो गए और उन्हें रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया.

इंफाल पूर्वी और पश्चिमी जिलों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया है, जिससे लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं, जबकि थौबल में बीएनएसएस की धारा 163 (2) के तहत निषेधाज्ञा लागू की गई है.

इस बीच, मणिपुर सरकार ने छात्रों के उग्र आंदोलन के बीच मंगलवार को पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया.

राज्य के गृह विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि यह निर्णय फोटो, आपत्तिजनक भाषा और घृणास्पद वीडियो के प्रसारण के लिए सोशल मीडिया के उपयोग को रोकने के लिए लिया गया है.

आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्र ने जातीय संघर्ष से ग्रस्त मणिपुर में सुरक्षा ड्यूटी के लिए लगभग 2,000 कर्मियों वाली दो और सीआरपीएफ बटालियनों की तैनाती का भी निर्देश दिया है.

राज्य में स्थिति तनावपूर्ण
द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, इसी बीच, पुलिस ने बताया कि मणिपुर में बुधवार को स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य की राजधानी इंफाल में मंगलवार दोपहर को लगाया गया कर्फ्यू बुधवार सुबह भी जारी रहा. इसके अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए शहर में पुलिसकर्मियों द्वारा लगातार गश्त की जा रही है.

उन्होंने कहा, ‘स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है.’

राजभवन ने मंगलवार देर रात जारी एक बयान में कहा, ‘छात्रों के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा.’ उन्होंने राज्यपाल से उनकी मांगों को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाने का आग्रह किया.

बयान में कहा गया कि राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह छात्रों और मणिपुर के लोगों के सर्वोत्तम हित में कदम उठाएंगे.

इस बीच, पुलिस ने एक बयान में कहा कि कांगपोकपी जिले में तलाशी अभियान चल रहा है, जहां हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए हैं.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस ने केंद्रीय गृह मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिसमें कानून और व्यवस्था को बहाल करने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा निर्णायक कार्रवाई सहित सुधारात्मक उपाय करने का आग्रह किया गया है.

इनर मणिपुर से कांग्रेस सांसद ए. बिमोल अकोइजम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चल रही अशांति में अवैध अप्रवासियों, विदेशी तत्वों और अवैध ड्रग माफिया की संलिप्तता के आरोपों की गहन जांच करने की मांग की.

वहीं, उच्च शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी और निजी दोनों कॉलेजों को 11 और 12 सितंबर को बंद रखने का आदेश दिया है. यह निर्णय संघर्ष-ग्रस्त राज्य में शांति की मांग को लेकर चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आया है.

मालूम हो कि 3 मई, 2023 को कुकी और मेईतेई जातीय समुदायों के बीच भड़की हिंसा में अब तक सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. सीमावर्ती राज्य में कम से कम 60,000 लोग तब से विस्थापित हो चुके हैं, उनमें से एक बड़ा हिस्सा अभी भी राहत शिविरों में रह रहा है. इसके बाद से कई लोग अपने-अपने क्षेत्र छोड़कर मिजोरम, असम और मेघालय चले गए हैं.

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