मुम्बई, 29 जून (आईएएनएस)। हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) के अंतिम ग्रुप मुकाबले में आस्ट्रेलिया के हाथों भारत की करारी हार चौंकाने वाली नहीं है। दरअसल, एक मजबूत विपक्ष के खिलाफ भारत जिस तरह की रणनीति के साथ मैदान में उतरा था, उसे देखते हुए उसकी हार तय थी।
मुम्बई, 29 जून (आईएएनएस)। हॉकी वर्ल्ड लीग (एचडब्ल्यूएल) के अंतिम ग्रुप मुकाबले में आस्ट्रेलिया के हाथों भारत की करारी हार चौंकाने वाली नहीं है। दरअसल, एक मजबूत विपक्ष के खिलाफ भारत जिस तरह की रणनीति के साथ मैदान में उतरा था, उसे देखते हुए उसकी हार तय थी।
भारतीय टीम ने आस्ट्रेलिया को अपने खेमे में घुसने और गोल करने का हर एक मौका प्रदान किया। दुनिया जानती है कि आस्ट्रेलिया को गोल करने का मौका देना, आत्महत्या करने के बराबर है। दुनिया यह भी जानती है कि यह टीम गोल करने के न्यूनतम मौके को भी सफलता में तब्दील कर देती है।
ऐसे में भारतीय टीम के कोच पॉल वान ऐस को आस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीमों के खिलाफ अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा। आंकड़े बताते हैं कि ऐस ने इस अहम मुकाबले के लिए कोई तैयारी नहीं की थी और अगर तैयारी हुई भी थी तो उस पर किसी भी स्तर पर अमल नहीं हुआ।
पूरे मैच के दौरान आस्ट्रेलिया ने 40 मौकों पर भारतीय रक्षापंक्ति को भेदा और गोल करने के 26 प्रयास किए। भारतीय डिफेंस इतना कमजोर नजर आया कि उसने चार पेनाल्टी कार्नर दिए, जिनमें से तीन पर गोल हुआ।
जवाब में भारतीय फारवर्ड पंक्ति सिर्फ 16 बार ही आस्ट्रेलिया का डी-एरिया भेद सकी और इनमें से आठ में ही गोल करने का प्रयास कर सकी। भारत ने जो दो गोल किए वे पेनाल्टी कार्नर पर हुए और इनके दौरान आस्ट्रेलियाई गोलकीपर आगे निकल आया था।
आस्ट्रेलिया ने पहले क्वार्टर में जो दो गोल किए थे, वे शानदार थे। इन गोलों के दौरान भारतीय रक्षापंक्ति पूरी तरह बिखरी नजर आई। उसने आस्ट्रेलिया को काउंटर अटैक करने का मौका दिया, जिसे लेकर सबसे अधिक सावधानी बरती जानी चाहिए थी।
आस्ट्रेलियाई टीम जब ब्रेक के बाद मैच शुरू करती है तब वह सबसे अधिक खतरनाक होती है। भारतीय टीम के अधिकांश सदस्यों और कोच को इस बात का इल्म था लेकिन इसके बावजूद जैमी ड्वायर जैसे खतरनाक खिलाड़ी को बार-बार मौका दिया गया।
कुल मिलाकर भारतीय टीम इस मैच को बचाने की रणनीति के साथ मैदान में उतरी नजर नहीं आई। ऐस की रणनीति पूरी तरह फ्लाप रही और भारतीय टीम खेल के हर विभाग में दोयम साबित हुई।
रुपिंदर पाल सिंह और वीआर रघुनाथ के रूप में भारत के पास दो पेनाल्टी कार्नर विशेषज्ञ हैं लेकिन इनके अलावा न तो किसी अन्य जोड़ी को आजमाया जा रहा है और न ही भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है।
आने वाले दिनों में भारत को ओलम्पिक जैसे अहम आयोजन मे खेलना है। उससे पहले तो भारत को इसी टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल स्तर के मैच में उतरना है। अगर गलतियों और कमियों पर काम नहीं हुआ तो फिर भारत को मलेशिया से भी हार मिल सकती है, जिसे कम आंकना भारत के लिए बड़ी भूल साबित होगी।
(लेखक भारतीय हॉकी टीम के पूर्व डिफेंडर हैं। उनसे डीएमएएचएडीआईके ऐटदरेट हॉटमेल डॉट कॉम पर सम्पर्क किया जा सकता है)