नई दिल्ली, 9 नवंबर-अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसला विवादित जमीन पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया गया। फैसले में कहा गया कि राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी। अदालत ने कहा कि 02.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया, लेकिन साथ ही कहा कि निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में जगह दी जाएगी।
अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस पर कहा कि मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन था। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। एएसआई के मुताबिक मंदिर के ढांचे के ऊपर ही मस्जिद बनाई गई थी।
प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आस्था के आधार पर फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। हालांकि यह विवाद सुलझाने के लिए संकेतक हो सकता है। अदालत को लोगों की आस्था को स्वीकार करना होगा और संतुलन बनाना होगा। अदालत ने कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे में आता हो।
अदालत ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा जताते हुए कहा कि इस पर शक नहीं किया जा सकता। पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इसके सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से पर कब्जा था।
अदालत ने माना कि हिंदू इसे भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। मुस्लिम इसे मस्जिद कहते हैं। हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम केंद्रीय गुंबद के नीचे जन्मे थे। यह व्यक्तिगत आस्था की बात है।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए अलग जमीन दी जाए।