मंदसौर (मप्र), 20 सितंबर (आईएएनएस)। ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’.. इसे भले ही सियासत करने वाले न समझें, मगर समाज इसे बखूबी समझता है, यही वजह है कि मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के मदरसों में गायत्री मंत्र से लेकर सोलह संस्कारों तक की गूंज सुनाई देती है।
आमतौर पर मदरसों का जिक्र आते ही एक खास धर्म की तस्वीर दिमाग में उभरने लगती है, लोगों को लगता है कि यहां सिर्फ मुस्लिम धर्म की शिक्षा दी जाती है, मगर मंदसौर के मदरसे इस धारणा को झुठला रहे हैं। इस जिले में कुल 220 मदरसे हैं, उनमें से 128 मदरसे ऐसे हैं जहां मुस्लिम के साथ हिंदू संप्रदाय के बच्चे भी पढ़ते हैं और इन मदरसों में हिंदू धर्म की धार्मिक शिक्षा दी जाती है।
मंदसौर मदरसा बोर्ड के जिला समन्वयक डॉ. शाहिद अली कुरैशी ने आईएएनएस से कहा कि मदरसों में आधुनिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षा अनिवार्य है। मदरसे हमेशा धर्म निरपेक्षता के प्रतीक रहे हैं। देश के मदरसों में राजा राममोहन राय और राजेंद प्रसाद जैसे महान लोगों ने शिक्षा हासिल की थी और अब भी हिंदू बच्चे इन मदरसों में पढ़ने आते हैं।
डॉ. कुरैशी ने बताया कि मदरसों के पाठ्यक्रम में धार्मिक विषय अनिवार्य है। जिले के 128 मदरसों का संचालन निदा महिला मंडल द्वारा किया जाता है, इन मदरसों में बड़ी संख्या में हिंदू बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए इन मदरसों में हिंदू धर्म की शिक्षा दी जाती है। यहां बच्चों को सोलह संस्कार सिखाए जाते हैं। यहां पढ़ने वाले हर बच्चे को गायत्री मंत्र के अलावा अन्य श्लोक भी कंठस्थ हैं।
उन्होंने आगे बताया कि इन मदरसों में हिंदू के साथ मुस्लिम बच्चे भी बढ़ते हैं। इन बच्चों को भी संस्कृत श्लोक व मंत्र याद हो गए हैं। मानव प्रवृत्ति ही ऐसी है, जिसके साथ रहेंगे, उसका असर आप पर पड़ेगा। यहां धर्म के नाम पर कोई भेदभाव नहीं है।
इस तरह जिले के 128 मदरसे हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक बन गए हैं। इन मदरसों में कक्षाओं की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती है। इन मदरसों का संचालन करने वाले निदा महिला मंडल के पदाधिकारियों का कहना है कि उनके इस कार्य का विरोध भी होता है। संचालक मंडल का लक्ष्य शिक्षा को धार्मिक संकीर्णता से उबारना और सभी धर्मो के विद्यार्थियों को अच्छी शिक्षा दिलाना है।
वहीं अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या का कहना है कि गायत्री मंत्र सार्वभौमिक मंत्र है। इसे हर धर्म या मजहब का व्यक्ति जप सकता है। इसमें सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना है और सद्बुद्धि तो सभी को चाहिए।
दुनिया में धर्म के नाम पर एक-दूसरे को लड़ाने वालों के लिए मंदसौर एक सबक देता है कि धर्म कभी लड़ना नहीं सिखता, बल्कि जोड़ता है। शायर इकबाल की पंक्ति ‘मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना’ को चरितार्थ होते देखना हो मंदसौर के मदरसों में जरूर आइए।