हम सभी जानते हैं कि मंत्र जप माला में 108 मनके होते हैं। आखिर इस 108 की संख्या का राज क्या है? जानिए माला जपने के नियम और जप माला की संक्षिप्त जानकारी –
माला कार्यानुसार तुलसी, वैजयंती, रुद्राक्ष, कमल गट्टे, स्फटिक, पुत्रजीवा, अकीक, रत्नादि किसी की भी हो सकती है।
अलग-अलग कार्य सिद्धियों के अनुसार ही इन मालाओं का चयन होता है।
* तारक मंत्र के लिए सर्वश्रेष्ठ माला तुलसी की मानी जाती है।
* माला के 108 मनके हमारे हृदय में स्थित 108 नाड़ियों के प्रतीक स्वरूप हैं।
* माला का 109वां मनका सुमेरु कहलाता है।
* जप करने वाले व्यक्ति को एक बार में 108 जाप पूरे करने चाहिए। इसके बाद सुमेरु से माला पलटकर पुनः जाप आरंभ करना चाहिए।
* किसी भी स्थिति में माला का सुमेरु लांघना नहीं चाहिए।
* माला को अंगूठे और अनामिका से दबाकर रखना चाहिए और मध्यमा उंगली से एक मंत्र जपकर एक दाना हथेली के अंदर खींच लेना चाहिए।
* तर्जनी उंगली से माला का छूना वर्जित माना गया है।
* माला के दाने कभी-कभी 54 भी होते हैं। ऐसे में माला फेर कर सुमेरु से पुनः लौटकर एक बार फिर एक माला अर्थात् 54 जप पूरे कर लेना चाहिए।
* मानसिक रूप से पवित्र होने के बाद किसी भी सरल मुद्रा में बैठें जिससे कि वक्ष, गर्दन और सिर एक सीधी रेखा में रहे।
* मंत्र जप पूरे करने के बाद अंत में माला का सुमेरु माथे से छुआकर माला को किसी पवित्र स्थान में रख देना चाहिए।
* मंत्र जप में कर-माला का प्रयोग भी किया जाता है।
* जिनके पास कोई माला नहीं है वह कर-माला से विधि पूर्वक जप करें। कर-माला से मंत्र जप करने से भी माला के बराबर जप का फल मिलता है।