मुंबई, 8 नवंबर- शिव सेना पूर्व केंद्रीय मंत्री और टेक्नोकैट्र सुरेश प्रभु को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने और उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए जाने के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के फैसले से नाखुश है। यह बात पार्टी के नेताओं ने शनिवार को कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रभु को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर उत्सुक हैं।
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार में प्रभु के काम की सभी पार्टियों ने तारीफ की थी। उन्हें इस बार रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
शिवसेना के एक नेता ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “हमारे पास कई अनुभवी और योग्य सांसद हैं, जिन्हें प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है। पार्टी समझ नहीं पा रही है कि यह (प्रभु को सरकार में शामिल करना ) किस प्रकार से शिव सेना के कोटे में आएगा। हम अभी इस पर चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही निर्णय लेंगे।”
पार्टी प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने हालांकि कहा कि मंत्रिमंडल में किसी सांसद को शामिल करने पर फैसला लेने का अधिकार मोदी के पास है।
राउत ने कहा, “भाजपा ने सुरेश प्रभु के नाम का अनुरोध किया था। वह काफी अनुभवी है और उनके पिछले कार्य की काफी सराहना हुई थी। हम उद्धव ठाकरे के अंतिम फैसले का इंतजार करेंगे।”
उन्होंने इस बात की भी पुष्टि की कि शिवसेना ने राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने के लिए नामित किया है।
पार्टी के एक नेता ने कहा कि देसाई और प्रभु के नाम की आधिकारिक घोषणा शनिवार रात या रविवार सुबह उद्धव कर सकते हैं।
नेता ने राजग से गठबंधन तोड़ने का संकेत देते हुए कहा, “यह पूरी तरह से महाराष्ट्र में सत्ता साझेदारी और वार्ता के परिणाम पर निर्भर करेगा। अगर यह सौहार्द्रपूर्ण और सम्मानजनक तरीके से नहीं सुलझता, तब पार्टी उसी के अनुसार अपने भविष्य की रणनीति तय करेगी।”
भाजपा और शिव सेना का 25 साल पुराना गठबंधन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पूर्व सीटों के बंटवारे के मसले पर 25 सितंबर को टूट गया था।
भाजपा जहां शिव सेना को महाराष्ट्र सरकार में शामिल करना चाहती है, वहीं शिव सेना राज्य में सत्ता का समीकरण बदलने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ मित्रता बढ़ा कर भाजपा पर दबाव की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है।
राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने शनिवार को पुणे में इस बात की पुष्टि की कि शिव सेना के नेताओं ने उनसे मुलाकात की है, लेकिन उन्होंने उनके सामने कोई प्रस्ताव नहीं रखा।
अनिल देसाई को नामित किए जाने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महाराष्ट्र में सत्ता साझेदारी के मसले पर शिव सेना के सकारात्मक रुख की उम्मीद कर रही है, जहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को 12 नवंबर को विधानसभा में बहुमत साबित करना है।