अनिल सिंह(भोपाल)-भोपाल में पिछले दिनों से चल रहे भोपाल उत्सव मेले में व्यापारियों के होश उड़े हुए हैं.मेले में खरीददारों के कम संख्या में आने से व्यापारी अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं.यहाँ अपने स्टाल लगाए व्यापारियों ने बताया की जो पूँजी उन्होंने यहाँ किराए के रूप में दी है उसे भी वापस निकालना भारी पड़ रहा है.किराए के दिए पैसे और उसके बाद स्टाल बनाने में जो लागत आई जब वही वापस नहीं आ पा रही है तब मुनाफे की सोचना ही दूर की बात है.
इस मेले में छोटी बड़ी मिलाकर लगभग 450 दुकाने लगी है.मेला समिति 2 करोड़ से ज्यादा इस मेले में किराया वसूल चुकी है लेकिन सुविधा के नाम पर यहाँ टॉयलेट भी नहीं है.एक सुलभ काम्प्लेक्स है वह भी मेला स्थल के बाहर है जो इतने दुकानदारों को कम पड़ता है.काफी का स्टाल जो सात की संख्या में हैं का किराया ही एक लाख चालीस हजार है लेकिन ग्राहकों की कम संख्या के आने से इनके संचालक अपनी किस्मत को रो रहे हैं.
मेला उत्सव समिति ने प्रचार-प्रसार नहीं किया
यहाँ पूछने पर पता चला की मेला समिति ने प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष प्रचार-प्रसार में कमी रखी.दुकानों की संख्या सीमित जगह में बढाने से भी ग्राहकी कमजोर हुई.पार्किंग की व्यवस्था भी सुचारू नहीं है और पैसे बेअदबी से वसूलने की शिकायत मेला आने वालों ने की.पैसे लेकर भी वाहनों की सुरक्षा के कोई प्रबंध यहाँ नहीं हैं.गाड़ियाँ सड़क किनारे कहीं भी खड़ी करवा दी जाती हैं और कर्मचारियों का व्यव्हार भी अभद्र रहता है.
संबधियों के वाहन बगल के स्कूल परिसर में खड़े किये जाते हैं
मेला परिसर से लगा हुआ एक सरकारी विद्यालय है जिसके परिसर में समिति के और परिचितों के वाहन पार्क किये जाते है वहां समिति ने वर्दीधारी सुरक्षा गार्ड भी तैनात किये हुए हैं.आवागमन वाली सड़कों के दोनों और ठेले लगने से दुर्घटनाएं होती रहती है.
खाने,मनोरंजन,और महिलाओं के सामान की दुकानों पर कुछ भीड़,बाकी दुकाने ग्राहकों से खाली
बच्चों के मनोरंजन,खाने के स्टाल और महिलाओं के सामान मिलने की दुकानों पर ग्राहक दिखे लेकिन इनमें भी कई दुकानदार मक्खी मारते नजर आये.दुकानदारों ने बताया की शाम 6 बजे से 8 बजे तक ही ग्राहक दीखते हैं बाकी समय सन्नाटा पसरा रहता है.ग्राहकों के ना आने का कारण वे मेले की प्रसिद्धि में कमी और सुविधाओं का अभाव बताते है.मेला समिति वर्षों से इसे आयोजित कर रही है लेकिन उसका ढर्रा वाही है इसमें कोई नयापन लाने की कोशिश समिति ने नहीं की है.ज्यादा दुकानबी बढ़ा देने से भी ग्राहक कम हुए हैं,क्योंकि ये वही दुकाने है जो इस मेले के पास स्थित मुख्य बाजार में हैं.
कई व्यवसायियों ने अगले वर्ष ना आने का कहते हुए किसी तरह अपना घाटा पूरा करने के लिए दूकान संचालित करने में ही भलाई समझी और कार्य कर रहे हैं.यदि मेला समिति ने ध्यान नहीं दिया तो यह मेला भी भोपाल का इतिहास बन कर रह जाएगा.