भोपाल-हाल ही में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति नें लगभग 40 पदों का विज्ञापन निकाला है जिसमें शैक्षणिक,तकनिकी और गैर शैक्षणिक पद शामिल है। कुलपति कुठियाला नें अपने कार्यकाल में विभिन्न पदों पर लगभग 150 नियुक्तियां अभी तक की है। जिसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और अनियमितता हुई है।
इन सभी पदों पर अयोग्य उम्मीदवारों को नियुक्त किया गया है। इसमें से कई उम्मीदवार न तो वांक्षित योग्यता रखते है और कई न वांक्षित अनुभव। कई उम्मीदवार तो फर्जी दस्तावेज के आधार पर नियुक्ति पाने में सफल रहें, जिनमें से कई मामलों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई और कई मामले अब भी न्यायालय के विचाराधीन है। एक प्रकरण में मध्यप्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को व्यक्तिगत हैसियत से नोटिस भी दिया गया है। 40 पदों का यह विज्ञापन भी मनमाने ढंग से भ्रष्टाचार करते हुए अयोग्य लोगों को नियुक्ति देने की तैयारी का हिस्सा है। यदि इस विज्ञापन को देखे तो इस विज्ञापन में बहुत चतुराई से हेरा-फेरी करते हुए विज्ञापन में असिस्टेंट प्रोफेसर का एक भी पद सामान्य श्रेणी का विज्ञापित नहीं किया गया है। इसके अलावा पत्रकारिता विश्वविद्यालय होनें के बावजूद भी मीडिया से जुड़े किसी भी विभाग में सामान्य श्रेणी में एक भी एसोसिएट प्रोफ़ेसर का पद विज्ञापित नहीं किया गया।
कुलपति नें अपने चहेतों को नियुक्ति देने के लिए गलत तरीके से रोस्टर लगाकर आरक्षण के नियमों की भी धज्जियाँ उड़ा दी है।विभिन्न विभागों में कई ऐसे पद है जो कि पहले अनारक्षित थे अब आरक्षित कर दिए गए है, कई आरक्षित पद अनारक्षित कर दिए गए है।
कुलपति बी. के. कुठियाला को सरकार एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का संरक्षण प्राप्त है इसलिए अपने कार्यकाल के दौरान लगातार मनमानी करते हुए भ्रष्ट तरीके से अयोग्य लोगों को नियुक्तियां देते आ रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल ही में 40 पदों के निकले गए विज्ञापन की अनुमति कुठियाला ने न वित्त विभाग से, न महापरिषद से और न ही राज्य शासन से प्राप्त की है। इन विज्ञापित पदों से शासन पर वित्तीय भर बढ़ेगा इसलिए सभी जगह से इसकी अनुमति आवश्यक है।
मध्यप्रदेश में राज्य शासन विश्वविद्यालयों में दो तरह का व्यवहार
कर रही है। एक ओर बरकतुल्ला विश्वविद्यालय में राज्य शासन द्वारा अनुमति लिए बिना नियुक्ति करने पर न सिर्फ नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया है बल्कि कुलसचिव को भी निलंबित कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के चहेते कुलपति को मनमानी की पूरी छूट दे रखी है। वह तानाशाही पूर्ण सारे नियमों को धता बताकर नियुक्ति कर रहा है। राज्य शासन कुठियाला का किस हद तक पक्ष ले रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सैकड़ों शिकायतें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सम्बंधित मंत्री और अधिकारीयों को की जा चुकी है लेकिन आज तक किसी जाँच कमेटी का गठन नहीं हुआ।