नई दिल्ली, 20 अप्रैल (आईएएनएस)। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा में सोमवार को आक्रामक रुख अख्तियार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह भूमि विधेयक अध्यादेश के माध्यम से किसानों को कमजोर कर इसका फायदा उद्योगपतियों को पहुंचाना चाहते हैं।
केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कांग्रेस उपाध्यक्ष के आरोपों को खारिज किया और उन्हें याद दिलाया कि उसकी कथनी व करनी में फर्क के कारण ही वह आज विपक्ष में बैठी है।
किसानों से जुड़े मुद्दे पर लोकसभा में सरकार पर हमला करते हुए राहुल ने कहा, “मैं प्रधानमंत्री को यह सुझाव देना चाहूंगा कि वे खुद जाएं और देखें कि फसलों को किस प्रकार नुकसान पहुंचा है।”
केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी द्वारा लोकसभा में भूमि अध्यादेश को पेश करते ही विरोध शुरू हो गया। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तीन अप्रैल को इस अध्यादेश को दोबारा मंजूरी दी थी। विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस ने विधेयक के खिलाफ सदन से बहिर्गमन किया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बाद में दिन में अपने आवास पर किसानों से मुलाकात की और नए भूमि विधेयक को लेकर उनकी चिंता पर बातचीत की। राहुल के भाषण के दौरान लोकसभा से अनुपस्थित रहीं सोनिया ने उनके भाषण पर संतुष्टि जताई।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल ने कहा कि उन्हें इस बात पर आश्चर्य होता है कि मोदी जैसे व्यक्ति देश के 60 फीसदी किसानों व मजदूरों की उपेक्षा करने की राजनीतिक गलती कैसे कर सकते हैं।
राहुल ने कहा, “वे इसका परिणाम जानते हैं। मुझे आश्चर्य है कि वे उन्हें कष्ट देने की गलती कैसे कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “आपकी सरकार अमीरों की और सूट-वूट वाले लोगों की है, जो यह नहीं समझते कि देश की वास्तविक शक्ति कॉरपोरेट में नहीं, बल्कि किसानों व मजदूरों में होती है।”
राहुल ने केंद्र सरकार पर किसानों को कमजोर करने का आरोप लगाया, ताकि उनकी जमीनें छीनकर उद्योगपतियों व कॉरपोरेट को दी जा सके।
उन्होंने कहा कि जब से राजग सरकार सत्ता में आई है, किसानों को दिए जाने वाले न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में नाममात्र की बढ़ोतरी की गई है।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी यह सोच रहे हैं कि भारत की वास्तविक शक्ति उद्योगपति तथा कॉरपोरेट हैं, तो वे गलत हैं।
हाल में देश में गेहूं व अन्य फसलों की तबाही पर सरकार के आकलन की चर्चा करते हुए राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री, कृषि मंत्री व भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रभावित फसलों का अलग-अलग आंकड़ा पेश किया।
उधर, केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकेया नायडू ने कहा, “भूमि अध्यादेश लोकहितकारी, गरीब और किसान समर्थक है। किसान खुश हैं। कोई किसान आंदोलन नहीं हो रहा।”
नायडू ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए विपक्ष की इस धारणा को खारिज किया कि किसान भूमि अध्यादेश से खुश नहीं है।
नायडू ने कहा कि रविवार को कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के भूमि अध्यादेश के विरोध में ‘किसान खेत मजदूर रैली’ आयोजित की। इसे सिर्फ प्रधानमंत्री की आलोचना करने के लिए आयोजित किया गया था।
वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिाकर्जुन खड़गे ने आरोप लगाते हुए कहा, “हमें लगता है कि इस अध्यादेश की जरूरत ही नहीं है, क्योंकि सरकार बार-बार इसे लोगों पर थोपने की कोशिश कर रही है। खासकर इसे दोबारा लाने के लिए राज्यसभा का सत्रावसान तक कर दिया गया।”
शून्य काल में मुद्दा उठाते हुए खड़गे ने कहा, “आप (सरकार) विधेयक को पिछले दरवाजे से पारित कराना चाहते हैं।”
तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के पूरी तरह खिलाफ है।