ग्वालियर, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। देश को आजाद हुए भले ही 70 साल बीत गए हों मगर लाखों परिवारों के पास जमीन और छत तक नहीं है। सरकारों के दावों के बावजूद अब भी वे आसमान के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। देश के हजारों भूमिहीन एक बार फिर सड़क पर उतरने की तैयारी में हैं और ऐसे लोगों का ग्वालियर में जमावड़ा हो रहा है।
एकता परिषद और सामाजिक संगठनों के आह्रान पर दो अक्टूबर से जन आंदोलन 2018 की ग्वालियर से शुरुआत हो रही है। मेला मैदान में सत्याग्रहियों का जमावड़ा शुरू हो चुका है। यह आंदोलन आवासीय कृषि भूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून सहित पांच मुद्दों को लेकर चलाया जा रहा है। ये सत्याग्रही दो दिन तक दो और तीन अक्टूबर को मेला मैदान में विचार-मंथन करेंगे और उसके बाद चार अक्टूबर को दिल्ली के लिए कूच करेंगे।
एकता परिषद के संस्थापक और इस आंदेालन के नेतृत्वकर्ता पी वी राजगोपाल का कहना है कि आजादी के 70 साल बाद भी लोगों को रहने के लिए जमीन और मकान नहीं मिल सके हैं। उनका कहना है कि वर्ष 2007 में जनादेश और 2012 में जन सत्याग्रह के दौरान केंद्र सरकार के साथ लिखित समझौते हुए मगर उन पर अब तक न तो अमल हुआ और न ही कानून बन पाया है।
ग्वालियर से शुरू होने वाले जन आंदोलन-2018 के दिल्ली चलो पदयात्रा में 2,5000 से ज्यादा लोगों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए बड़ी संख्या में देश के कोने-कोने से लोगों के पहुंचने का दौर जारी है।