अगर आप मध्य प्रदेश घूमने का प्लान बना रहे है तो एक बार मध्य प्रदेश में स्थित प्रसिद्ध भीमबेटका में जरूर जाएं क्योकि यहां कि गुफाओ में आपको प्रसिद्ध गुफाचित्र, पुराने काल की पेंटिंग्स और बहुत कुछ जानने को मिलेगा। यह भोपाल से 46 किलोमीटर दक्षिण में स्थित हैं। आपको बता दें कि यह प्रागैतिहासिक कला का प्रहरी होने के साथ-साथ भारतीय स्थापत्य कला का अनुपम खजाना भी है।
वास्तव में, इन गुफाओं की पहचान देश के सबसे बड़े प्रागैतिहासिक कला के खजाने के रूप में कि जाती है भारत के प्रसिद्ध पुरातत्व विशेषज्ञ डॉक्टर वीएस वाकांकर ने इन गुफाओं की खोज की थी और 1958 में उन्होंने नागपुर जाने के रास्ते में अचानक ही दूर के एक पहाड़ी से इन गुफाओं को चिह्नित किया। भीमबेटका नाम भीम और वाटिका, दो शब्दों से मिल कर बना है. पौराणिक महाभारत कथा से इसका संबंध है. इसका नाम महाभारत काल के पांच पांडवों में से एक भीम के नाम पर पड़ा है.
भीमबेटका गुफाओं की खोज से इस क्षेत्र को अपार प्रसिद्धि मिली है। यह पूरा क्षेत्र गुफाओं से पटा हुआ है, यहां करीब 600 गुफाएं है, यह पूरा क्षेत्र खड़े और बिखरे पत्थरों के बीच सागवान और सखुआ पेड़ों से घिरा हुआ है। इसे यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल में शुमार किया है इनमें से कुछ गुफाओं में उकेरे हुए चित्र कई युगों पुराने हैं।
वास्तव में, ये गुफाचित्र ही यहां के प्रमुख आकर्षण हैं और ये ऑस्ट्रेलिया के सवाना क्षेत्र और फ्रांस के आदिवासी शैल चित्रों से मिलते हैं जो कालीहारी मरुस्थल के बौनों द्वारा किया गया है. चूंकि, इन गुफाओं का इस्तेमाल विभिन्न कालों में आदिमानवों ने अपने घर के रूप में किया, इसलिए यहां उकेरे गए पेंटिंग्स उनकी जीवनशैली और सांसारिक गतिविधियों को दर्शाते हैं मौलिक रूपरेखा और रंगों के निपुण चयन ने हमारे पूर्वजों की इन गतिविधियों में जान डाल दी है.
विभिन्न सामुदायिक गतिविधियां जैसे- जन्म, मरण, धार्मिक अनुष्ठान, नृत्य, शिकार खेलना या आखेट दृष्य, जानवरों की लड़ाइयां और आमोद-प्रमोद को इन चित्रों में स्थान दिया गया है. गैंडा, बाघ, जंगली भैंस, भालू, मृग, सूअर, शेर, हाथी, छिपकली इत्यादि को इन चित्रों में देखा जा सकता है. यह देखना आश्चर्यजनक है कि इन पेंटिंग्स में जो रंग भरे गए थे वो कई युगों बाद अभी तक वैसे ही बने हुए हैं. इन पेंटिंग्स में आमतौर पर प्राकृतिक लाल और सफेद रंगों का प्रयोग किया गया है. अकसर इनमें हरे और पीले रंग का प्रयोग भी किया गया है.
यहां जो सबसे पुरानी पेंटिंग है वो करीब 12 हजार साल पुरानी है जबकि सबसे नवीन पेंटिंग हजार साल पुरानी है यहां सैलानियों के लिए केवल 12 गुफाएं खुली हैं तो बस अगर आप मध्य प्रदेश घूमने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो भीमबेटका जरूर जाएं।