नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। स्कूल जाने वाले लगभग 60 प्रतिशत बच्चे पीठ पर भारी बैग लादे जाने से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को भारी वजन के कारण पीठ दर्द और मांसपेशियों की समस्याओं व गर्दन दर्द से जूझना पड़ रहा है।
नई दिल्ली, 2 अगस्त (आईएएनएस)। स्कूल जाने वाले लगभग 60 प्रतिशत बच्चे पीठ पर भारी बैग लादे जाने से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों को भारी वजन के कारण पीठ दर्द और मांसपेशियों की समस्याओं व गर्दन दर्द से जूझना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की हड्डियां 18 साल की उम्र तक नरम होती हैं और रीढ़ की हड्डी भारी वजन सहने लायक मजबूत नहीं होती।
सर गंगा राम अस्पताल के न्यूरो स्पाइन विभाग के निर्देशन सतनाम सिंह छावड़ा ने कहा, “भारी बैग से पीठ व कंधे की मांसपेशियों में तनाव होता है। इससे स्पाइन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रीढ़ में दर्द हो जाता है।”
उन्होंने कहा कि पीठ पर भारी वजन से मांसपेशियां खिंच सकती हैं, जिससे सिरदर्द, गर्दनदर्द व कंधों में दर्द हो सकता है।
उन्होंने कहा, “बहुत से माता-पिता की शिकायत होती है कि बच्चे का पॉश्चर सही नहीं है, लेकिन पीठ पर भारी बैग लादने वाले बच्चों के लिए हम कुछ नहीं कर सकते। हम उन माता-पिता को सिर्फ सलाह दे सकते हैं कि बच्चों को दोनों कंधों की मदद से स्कूल बैग का बोझ उठाने को कहें।”
मुंबई के एल.टी.एम. मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व हड्डी रोग विशेषज्ञ ए.बी. गोरेगांवकर मौजूदा शिक्षा प्रणाली में सुधार पर जोर देते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा की कक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि बच्चे फिट रह सकें।
उन्होंने कहा, “इसके अलावा बच्चों को शरीरिक गतिविधियों में भाग लेना चाहिए और उन्हें बाहर खेले जाने वाले खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इससे मांसपेशियां बढ़ती हैं और ताकत भी बढ़ता है।”