नई दिल्ली, 30 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि भारत को यह देखने की जरूरत है कि विकसित देश बनने का लक्ष्य 2030 तक हासिल हो जाए। पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने वर्ष 2020 का जो लक्ष्य रखा था, देश उसे पाने में असफल रहा है।
जेटली ने कलाम पर पहले स्मारक व्याख्यान के दौरान कहा, “कलाम का भारत को वर्ष 2020 तक विकसित देश बनाने की जो परिकल्पना थी उसे पाने में हमलोग नाकाम रहे हैं। इस तारीख को और आगे बढ़ाने की जरूरत है।”
उन्होंने कहा, “2020 की जगह हम इसे आगे बढ़ाकर 2030 करते हैं। भारत को उस रास्ते का अनुसरण करना है। इसके लिए निजी क्षेत्र से निवेश की जरूरत होगी और वैश्विक स्तर पर भी। बड़े संसाधन एवं बैंकिंग क्षेत्र की भी जरूरत पड़ेगी।”
उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा निवेश करेगी, लेकिन निजी क्षेत्र से निवेश केवल तभी आएगा जब भारत निवेश के लिए सबसे अच्छा स्थान बनेगा।
इसके लिए भारत को व्यापार के लिए आसान माहौल बनाना और भ्रष्टाचार पर काबू पाने की जरूरत होगी।
हमने भले ही प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए दरवाजे खोल दिए हों लेकिन भूमि और निर्माण की जरूरतों में मामले में भारत 190 देशों में अब भी 183 वें स्थान पर है।
जेटली ने कहा कि इस बदलाव को राज्य स्तर पर लाने की जरूरत है नहीं तो प्रतिकूल माहौल बना है जिससे राजस्व का नुकसान हुआ है।
करों के बारे में उन्होंने कहा कि अप्रत्यक्ष करों को दुनिया की तुलना में सबसे अच्छा होना होगा।
जल्द ही आने जा रहे वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) पर जोर देते हुए जेटली ने कहा, ‘एक देश एक कर’ का पूरा विचार राहत और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से मुक्ति देता है।
उन्होंने कहा कि भारत ने बुनियादी संरचना खर्च में प्रगति की है और इसके राजमार्ग दुनिया के सबसे अच्छे राजमार्गो से तुलना करने लायक हैं। भारत को पेंशन वाले समाज की ओर बढ़ना चाहिए।
विकसित देशों में पेंशन और बीमा है जिसे भारत अब भी स्वीकार करने में कठिनाई महसूस कर रहा है। सातवें वेतन आयोग के लिए मेरे पिछले बजट की कुछ संस्तुतियों पर मैने पाया कि कर्मचारी बीमा और पेंशन के विचार को पसंद नहीं करते।
जेटली ने कहा कि यदि भारत को वर्ष 2030 तक लक्ष्य को हासिल करना है तो हमें विकास के एजेंडा से नीति बदलने से बचना होगा। धर्म, क्षेत्र, जाति आदि विकास के एजेंडा से भटका सकते हैं।