जैसा कि हिन्दुस्तान टाइम्स ने लिखा, यह नये प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव प्रचार अभियान का एक मुख्य नारा था। लेकिन प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित नदी की सफाई करना कोई आसान काम नहीं होगा। गंगा के बेसिन में 50 करोड़ लोग रहते हैं जो कि नदी का पानी रोज़मर्रे की ज़रूरतों, उद्योग और कृषि के लिये इस्तेमाल करते हैं। इससे पहले यह लक्ष्य गंगा अद्यतन एवं नदी विकास मंत्रालय के सामने उठाया गया था। दशकों के दौरान महान नदी को बचाने की कई असफल कोशिशें की गयीं। अंततः विश्व बैंक ने इस परियोजना को उच्च जोखिम वाली परियोजनाओं की संख्या में शामिल किया। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थिति केवल इस हालत में बदल जायेगी अगर नयी सरकार कुल मिलाकर प्रकृति प्रदूषण का स्तर घटाने हेतु गंभीर कदम उठायेगी।
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