लंदन, जो कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में गिने जानेवाले देश ब्रिटेन की राजधानी है, वो भी स्मार्ट सिटी नहीं है. ऐसा कैसे?
”हर शहर की एक अपनी आत्मा होती है, अगर आप वो देंगे तो उसे लौटाना बहुत मुश्किल हो जाएगा, ऐसा लगने लगेगा कि आप किसी फ़ैक्ट्री में रह रहे हैं.”स्मार्ट सिटी की सोच में एक अच्छी बात ये है कि शहर के मूल चरित्र को नहीं बदलती, ये बिना दिखे शहर को स्मार्ट बनाती है.
यह स्मार्ट सिटी होती क्या है
ब्रिटेन के एक प्रतिष्ठित आर्किटेक्ट कहते हैं, ”स्मार्टनेस देखने की चीज़ नहीं है, वो अंदरूनी चीज़ है. जैसे मुंबई के डब्बेवाले, वो स्मार्टनेस का एक उदाहरण है.
अगर आप उनके काम के तरीक़े को एक जटिल सिस्टम पर लागू कर दें, जैसे किसी शहर का ट्रांसपोर्ट सिस्टम, और उसमें आप डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल कर उसे बहुत कारगर बना दें, तो वो स्मार्ट होगा.”
कैसे बनती है स्मार्ट सिटी
किसी शहर को स्मार्ट बनाने के लिए क्या-क्या किया जाता है इसकी एक झलक मिलती है ब्रिटेन के दूसरे बड़े शहर बर्मिंघम से जहाँ में स्मार्ट सिटी को स्मार्ट बनाने की कोशिश शुरू हुई 2012 में.
पहले योजना का एलान हुआ और उसके बाद बर्मिंघम की नगरपालिका ने इस दिशा में काम शुरू किया. सबसे पहले उसने एक स्मार्ट सिटी कमीशन का गठन किया.
फिर तरह-तरह के अध्ययन और विशेषज्ञों से विचार-विमर्श हुए, और फिर शुरू हुआ बर्मिंघम को स्मार्ट बनाने का अभियान.सिटी सेंटर में, सरकारी दफ़्तरों में मुफ़्त वाइ-फ़ाइ उपलब्ध कराना, पार्किंग को बेहतर करना आदि सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं.
स्मार्ट सिटी योजना का सबसे बड़ा आधार थी – नई डिजिटल तकनीक.
बर्मिंघम स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तकनीकी पक्ष का ख़ाका खींचने वाले राज मैक कहते हैं कि स्मार्ट सिटी की परिकल्पना में उन नागरिकों का भी ध्यान रखा गया है जो स्मार्ट तकनीक से परिचित नहीं हैं, लेकिन फ़िलहाल चुनौती दूसरे तरह की है.स्मार्टनेस का मतलब ये है कि लोग सुविधाओं का कैसे अलग तरीके से इस्तेमाल कर सकें, और अगर तकनीक इसमें मदद करती है, तो वो स्मार्ट होगा.
स्मार्ट शहर कैसा दिखेगा – शायद इस सवाल का उत्तर ढूँढते मन में एक अति आधुनिक, चमकते-दमकते, साफ-सुथरे, सुविधाओं से लैस शहर की कल्पना जन्म लेती होगी.तो क्या भारत में जो 100 स्मार्ट शहर होंगे वो भी ऐसे ही दिखने लगेंगे?
संपादन -अनिल