Sunday , 6 October 2024

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भारत-पाक : शान्ति की कोशिश करते हुए युद्ध की तैयारियाँ

Indian Muslims hold national flag on India (L) and Pakistan during a protest rally in Mumbaiबीते सप्ताहान्त में वह मामला और आगे बढ़ा, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ ने पिछले हफ़्ते यह कहा था कि कश्मीर की वज़ह से भारत और पाकिस्तान के बीच चौथा युद्ध शुरू हो सकता है। पाकिस्तान नियन्त्रित कश्मीर में इस सिलसिले में पाकिस्तानी प्रधानमन्त्री नवाज़ शरीफ़ का बयान जारी करने वाले तीन सरकारी अधिकारियों को निलम्बित कर दिया गया है।

उसी समय भारत ने पाकिस्तान के साथ लगने वाली अपनी सीमा पर सुरक्षा के इन्तज़ाम कड़े कर दिए हैं ताकि पाकिस्तानी शूटर भारतीय सीमा पर तैनात जवानों को अपना निशाना न बना सके। वहीं अमरीका के रक्षा मन्त्री चेक हैगल आजकल पाकिस्तान की यात्रा कर रहे हैं। चैक हैगल से मुलाक़ात करते हुए नवाज़ शरीफ़ ने फिर से अमरीका से यह माँग की है कि वह पाकिस्तान के इलाके में अपने ड्रोन विमानों के हमले बन्द करे। यह बात विरोधाभासपूर्ण हो सकती है, लेकिन अमरीका और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में पैदा हो गए तनाव की वज़ह से ही कश्मीर की समस्या जैसी तीखी समस्या को अस्थाई तौर पर हल करने की सम्भावना मिल रही है।

याद रहे कि पिछले ही हफ़्ते समाचार-समितियों ने सारी दुनिया में नवाज़ शरीफ़ का वह बयान फैलाया था, जिसमें उन्होंने कश्मीर को एक ऐसी चिंगारी बताया था, जिसके कारण भारत और पाकिस्तान के बीच चौथा युद्ध छिड़ सकता है। लेकिन इसके दो दिन बाद ही पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री कार्यालय ने इन शब्दों से इन्कार कर दिया और पाकिस्तान द्वारा नियन्त्रित कश्मीर की प्रेस सेवा के तीन अधिकारियों को निलम्बित कर दिया। बरीस वलख़ोन्स्की ने कहा :

यह घटना भी स्थिति को साफ़ नहीं करती क्योंकि इन अधिकारियों को काम में लापरवाही दिखाने के लिए निलम्बित किया गया है। यह कहना मुश्किल है कि इन लोगों को प्रधानमन्त्री के शब्दों को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए दण्डित किया गया है या इसलिए सज़ा दी गई है क्योंकि उन्होंने प्रधानमन्त्री शरीफ़ के उस बयान को सबके सामने खोलकर रख दिया, जो उन्होंने सबके लिए नहीं दिया था।

ख़ैर कुछ भी हो, नवाज़ शरीफ़ के नाम से जो बयान जारी किया गया था, उसने अपनी भूमिका निभाई। भारत के प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने बड़ी तुर्शी से उसका जवाब दिया कि पाकिस्तान भारत से कभी युद्ध नहीं जीता है और अगला युद्ध भी नहीं जीतेगा। इसके बाद बीते सप्ताहान्त में भारत के सीमा सुरक्षा बल ने पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर अपनी स्थिति को और मज़बूत किया और पाकिस्तानी निशानेबाज़ों की गोलियों से भारतीय जवानों को बचाने के लिए अतिरिक्त क़दम उठाए।

ऐसा लग रहा था कि तनाव बढ़ जाएगा और दोनों देश लड़ाई की बात करते-करते लड़ने लग जाएँगे। लेकिन इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि आज परिस्थिति ऐसी है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाली लड़ाई सिर्फ़ इन दो देशों के बीच की लड़ाई ही नहीं रह जाएगी। बाहरी ताक़तें भी इस लड़ाई में शामिल हो जाएँगी। और ये बाहरी ताक़तें ऐसी हैं, जो भारत और पाकिस्तान की ताक़त से कहीं अधिक ताक़तवर हैं। घटनाओं के इस तरह के विकास के क्या परिणाम होंगे, यह बताना भी मुश्किल है। लेकिन एक बात कही जा सकती है कि ये परिणाम न सिर्फ़ इस इलाके के लिए बल्कि सारी दुनिया के लिए बड़े भयानक होंगे।

इस सिलसिले में यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते हुए इस तनाव के दौरान ही अमरीका के रक्षामन्त्री चेक हैगल पाकिस्तान की यात्रा कर रहे हैं। उनकी इस पाकिस्तान यात्रा के दौरान जिन सवालों पर चर्चा की गई, उनका सीधे-सीधे कश्मीर के सवाल पर भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुए तनाव से कोई लेना-देना नहीं है। वे सवाल तो सन् 2014 में अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सेना की वापसी के बाद अफ़ग़ानिस्तान की परिस्थिति के नियमन और पाकिस्तानी इलाके में अमरीकी ड्रोन विमानों के हमलों से ही सम्बन्ध रखते थे।

लेकिन ध्यान देने की बात तो यह है कि ऐसा लग रहा है कि अमरीका इस ‘विशाल पश्चिमी एशिया’ के इलाके में अपनी सैन्य नीति और राजनीति को ही पूरी तरह से बदल रहा है। अमरीका यह कोशिश कर रहा है कि इस इलाके में सम्भावित युद्धों में सीधे भाग लेने वाले अमरीका के सहयोगी देश सैन्य खर्चों का ज़्यादातर भार ख़ुद ही वहन करें। चेक हैगल की इस यात्रा का मार्ग भी हमारी इस बात की पुष्टि करता है। उन्होंने अपनी यह यात्रा बहरीन से शुरू की, उसके बाद वे काबुल गए, वहाँ से इस्लामाबाद आए। इस्लामाबाद के बाद वे सऊदी अरब गए और वहाँ से कतर गए। ख़ुद अमरीका दूर से ही लड़ाई लड़ने की नीति पर ही अमल करेगा और इसके लिए वह ड्रोन विमानों का इस्तेमाल पहले की तरह आगे भी करता रहेगा।

और इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान की पश्चिमी सीमाओं पर दबाव कम होने की जगह और बढ़ता चला जाएगा। इस स्थिति में ऐसा शायद ही होगा कि वह अपनी पूर्वी सीमा पर, यानी कश्मीर में वह तनाव बढ़ाना चाहेगा। इस वज़ह से भारत और पाकिस्तान के बीच ऐसी स्थिति पैदा हो जाएगी कि वे अपने आपसी विवादों को बातचीत के माध्यम से हल करें। पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय राजनीतिज्ञ इमरान ख़ान भी पिछले कुछ दिनों से यही बात कह रहे हैं। वे भली-भाँति इस बात को समझते हैं कि पश्चिमी दिशा से पाकिस्तान की सम्प्रभुता को लगातार भंग करने की कोशिशों के बीच पाकिस्तान की पूर्वी सीमा को सुरक्षित बनाए रखने की ज़रूरत है।
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