नई दिल्ली, 26 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत और पाकिस्तान के बीच बहुप्रतीक्षित विदेश सचिव स्तर की वार्ता यहां मंगलवार को हुई। इस बैठक में भारत ने सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाया जबकि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में भारत की कथित दखलअंदाजी का मुद्दा उठाया और कहा कि कश्मीर ‘मुख्य मुद्दा’ है।
विदेश सचिव एस.जयशंकर सुबह 11 बजे से साउथ ब्लॉक में पाकिस्तान के अपने समकक्ष एजाज अहमद चौधरी के साथ जब बात कर रहे थे, उसी दौरान पाकिस्तानी पक्ष ने इस बैठक की तस्वीरें और बयान जारी कर दिए जिसमें उसके द्वारा उठाए गए मुद्दों के बारे में जानकारी दी गई थी।
भारतीय पक्ष ने पाकिस्तानी पक्ष द्वारा मीडिया में चौधरी और पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित की भारतीय अधिकारियों के साथ मुलाकात की तस्वीर जारी करने के दो घंटे के बाद आधिकारिक बयान जारी किया।
बैठक के बाद कोई आधिकारिक संयुक्त बयान नहीं जारी हुआ। शायद इसलिए क्योंकि पाकिस्तान द्वारा बैठक के दौरान ही मीडिया को जारी की गई तस्वीरों को भारत ने प्रोटोकॉल के उल्लंघन के रूप में देखा है।
कश्मीर और बलूचिस्तान के अलावा चौधरी ने कथित भारतीय जासूस कूलभूषण जाधव का मामला भी उठाया, जबकि जयशंकर ने पाकिस्तान से कहा कि ‘द्विपक्षीय संबंधों पर आतंकवाद के प्रभाव से इनकार नहीं किया जा सकता।’
जयशंकर ने चौधरी से कहा, “भारत के खिलाफ काम करने वाले पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों पर कार्रवाई की जानी चाहिए।”
उन्होंने पठानकोट वायु सेना अड्डे पर किए गए आतंकवादी हमलों की पाकिस्तान द्वारा जल्दी और पारदर्शी जांच की भी बात उठाई।
बैठक के दौरान जयशंकर ने पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड जैश ए मुहम्मद सरगना मसूद अजहर का मामला उठाया।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति के समक्ष अजहर को आतंकवादी के रूप में सूचीबद्ध करने का प्रयास किया था जिसे चीन ने रोक दिया।
जयशंकर ने पाकिस्तान से 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुकदमे की जांच जल्द पूरी करने को कहा।
भारत के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि स्पष्ट और रचनात्मक विचार विमर्श हुआ।
भारतीय पक्ष ने पाकिस्तान से पूर्व नौसेना अधिकारी जाधव से दूतावास के उच्चाधिकारियों को मिलने देने की मांग की। जाधव को बलूचिस्तान से गिरफ्तार किया गया था और उन पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने भारत के रिसर्च एंड एनलिसिस विग (रॉ) के जासूस होने का आरोप लगाया है जिसे भारत ने खारिज किया है।
बैठक के दौरान जयशंकर ने मजबूती से भारत के बलूचिस्तान या पाकिस्तान के दूसरे इलाकों में दखलअंदाजी के आरोपों का खंडन किया। एक सूत्र ने बताया, “इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि कौन सी जासूसी एजेंसी अपने एजेंट को उसी के पासपोर्ट के साथ बिना वीजा के दूसरे देश भेजेगी।”
दोनों पक्षों ने इस दौरान मानवीय मुद्दों पर भी बात की जिसमें मछुआरों और कैदियों के मुद्दों के अलावा दोनों देशों के लोगों का एक-दूसरे से संपर्क बढ़ाने और धार्मिक पर्यटन के बारे में चर्चा की गई।
पाकिस्तान द्वारा जारी बयान के मुताबिक चौधरी ने “बलूचिस्तान और कराची में भारत की विध्वंसक गतिविधियों पर चिंता जाहिर की।”
चौधरी ने 2007 में समझौता एक्सप्रेस बम विस्फोट मामले को उठाया। इसमें पहले दक्षिणपंथी हिन्दू कार्यकर्ताओंको आरोपी बनाया गया था। लेकिन, रिपोर्ट के अनुसार संदिग्धों को सबूतों के अभाव का हवाला देकर छोड़ने की तैयारी की जा रही है।
हालांकि, इस मौके की तस्वीरों में दोनों ही देशों के विदेश सचिव गर्मजोशी से हाथ मिलाते देखे गए। लेकिन शांति प्रक्रिया को आगे ले जाने पर कोई आपसी सहमति देखने को नहीं मिली।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने दोनों अधिकारियों की मौजूदगी वाली तस्वीरों के साथ ट्वीट करते हुए लिखा, “विदेश सचिव के लिए अन्य महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठक। जयशंकर की पाकिस्तान के विदेश सचिव एजाज अहमद चौधरी के साथ मुलाकात।”
जयशंकर ने इससे पहले मंगलवार सुबह अफगानिस्तान के उप विदेश मंत्री हकमत करजई से मुलाकात की।
भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच यह बैठक ‘हार्ट ऑफ एशिया इस्तांबुल प्रोसेस’ सम्मलेन से इतर हुई।
पठानकोट स्थित वायुसेना के अड्डे पर आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच वार्ता स्थगित हो गई थी। इस हमले में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मदके आतंकवादियों का हाथ था। इसमें सात भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए थे।
इस हमले के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा पिछले साल अक्टूबर में पाकिस्तान दौरे के दौरान शुरू की गई वार्ता, पटरी से उतर गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले साल 25 दिसंबर को लाहौर की आकस्मिक यात्रा से भी दोनों देशों के बीच वार्ता प्रक्रिया को गति मिली थी। इस दौरान मोदी ने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात की थी।