कोलकाता, 19 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद और सेना के पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारत-चीन युद्ध पर हेंडरसन-ब्रूक्स की रपट सार्वजनिक करने की मांग की है। अमरिंदर ने इस सच्चाई के बावजूद यह मांग की है कि 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारतीय फौज की हार के लिए इस रपट में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है।
कोलकाता, 19 जनवरी (आईएएनएस)। कांग्रेस सांसद और सेना के पूर्व कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारत-चीन युद्ध पर हेंडरसन-ब्रूक्स की रपट सार्वजनिक करने की मांग की है। अमरिंदर ने इस सच्चाई के बावजूद यह मांग की है कि 1962 में चीन के साथ युद्ध में भारतीय फौज की हार के लिए इस रपट में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है।
अमरिंदर ने आईएएनएस से कहा, “इस रपट को काफी समय पहले जारी हो जाना चाहिए था। जब श्रीलंका में हुए ऑपरेशन पवन और 1965 युद्ध पर रपट सामने आ चुकी है तो हम क्यों 1962 की रपट दबा कर बैठे हैं?”
अमरिंदर ने अपनी ताजा किताब ‘ऑनर एंड फिडलिटी : इंडियाज मिलिट्री कंट्रीब्यूशन टू द ग्रेट वॉर 1914-1918’ को कोलकाता में लांच करते समय कहा, “अगर आप कुछ राजनीतिज्ञों और सेना के जनरलों को बचाना चाहते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हर कोई अनुभव से ही सीखता है और इसलिए इस रपट को बाहर आना चाहिए, ताकि लोगों को यह पता लग सके कि वास्तव में क्या हुआ था।”
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस रपट को गोपनीय दस्तावेजों की सूची से बाहर निकालने का विरोध करने के लिए राजनीति पार्टियों के बीच सहमति थी। यह रपट पिछले 50 वर्षो से एक रहस्य बनी हुई है।
उन्होंने कहा, “इस रपट को जारी करने से रोकने के लिए राजनीतिक दलों में सहमति थी। मैंने 1962 के युद्ध पर लिखा है और मैं नहीं समझता कि इसमें ऐसा कुछ है जिसे छिपाए जाने की जरूरत है। अगर किसी ने राजनीतिक स्तर पर या सेना के स्तर पर गलती की है तो जनता के सामने उसे आना चाहिए।”
लेफ्टिनेंट टी.बी हेंडरसन ब्रूक्स और ब्रिगेडियर पी.एस भगत द्वारा संयुक्त रूप से लिखी गई इस रपट मे भारत की करारी हार के लिए उस समय की नेहरू सरकार और सेना के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया गया है।
संयोग से भाजपा ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान इस रपट को जारी करने के लिए काफी हंगामा किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने पैंतरा बदल दिया।
उस समय विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सख्ती से इस रपट को सार्वजनिक किए जाने की वकालत की थी, लेकिन बाद में रक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने जुलाई में राज्यसभा को लिखित में जवाब देकर कहा कि इस रपट को जारी करना राष्ट्रीय हित में नहीं होगा।
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इस विवादास्पद रपट को गोपनीय रखने के फैसले पर अमरिंदर ने कहा, “यह गलत है। सरकार को इसे सार्वजनिक करना चाहिए।”
अमरिंदर की नई किताब में भारतीय सैनिकों के भारी योगदान और सैनिकों ने किस तरह ब्रिटिशों की युद्ध की लहर को बदला, उस पर प्रकाश डाला गया है। किताब में देश के प्रथम विश्व युद्ध के नायकों को भारत द्वारा सम्मान न दे पाने पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है।
उन्होंने कहा, “यह दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत ने अभी तक युद्ध में मारे गए और घायल हुए 140,000 सैनिकों के योगदान को सम्मान नहीं दिया है। ऐसे समय में जब दुनिया इस युद्ध की शताब्दी मना रही है। यह सही समय है कि भारत अपनी इस सोच को छोड़े कि हम अंग्रेजों के लिए लड़े और सभी परिस्थितियों में बहादुरी से लड़ने वाले हमारे सैनिकों को सम्मान दें।”
पाकिस्तान द्वारा बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन करने पर अमरिंदर ने कहा कि भारतीय फौज ने उपयुक्त जवाब दिया है।
2009-2014 के दौरान विदेश मंत्रालय में राज्यमंत्री रहे अमरिंदर ने कहा कि भारतीय फौज बेहतरीन काम कर रही है और सरकार को सेना को पूरा समर्थन देना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मैं नहीं समझता कि पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद की जानी चाहिए थी। बातचीत जारी रखी जाए। कभी भी युद्ध के बाद आखिरकार आपको बातचीत की प्रक्रिया में आना पड़ा है। मैं समझता हूं कि बातचीत जारी रखी जाए और मुझे उम्मीद है कि इसे अच्छे तरीके से पूरा किया जाएगा।”
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।