नई दिल्ली, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने बुधवार को सरकार द्वारा अमेरिकी सश बलों को भारतीय नौसेना और वायुसेना अड्डों के इस्तेमाल पर राजी होने को एक ‘खतरनाक कदम’ करार दिया।
माकपा ने कहा, “नरेंद्र मोदी सरकार ने भारत को अमेरिका का पूर्ण सैन्य सहयोगी बना दिया है।”
अमेरिकी रक्षामंत्री एश्टन कार्टर और भारतीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने मंगलवार को लॉजिस्टिक एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) पर सहमति की घोषणा की थी।
माकपा ने कहा, “यह लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट का ही दूसरा नाम है। इसी एग्रीमेंट के तहत अमेरिका अपने सैन्य सहयोगी देशों फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और जापान में अपनी सेनाएं भेजता है।”
“पर्रिकर ने जो कहा उसके विपरीत यह अमेरिकी जहाजों और विमानों को ईधन भरने, रखरखाव और मरम्मत की सुविधा देगा, जिसके लिए अमेरिकी सैनिकों का भारतीय जमीन पर नियमित रूप से आना-जाना होगा।”
“इस समझौते के साथ ही मंत्री ने संकेत दिया है कि दो अन्य समझौतों की भी तैयारी चल रही है। कम्युनिकेशन एंड इंफरेमेशन सिक्युरिटी मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (सीआईएसएमओए) और बेसिक एक्सचेंज एंड कोआपरेशन एग्रीमेंट (बीईसीए)। इन समझौतों से भारतीय सेनाओं का कमांड और कंट्रोल संरचना अमेरिकी सेनाओं के साथ जुड़ जाएगी।”
“ऐसा करके भाजपा सरकार ने उस लक्ष्मण रेखा को पार कर दिया है, जिसे आजादी के बाद की किसी सरकार ने नहीं किया था। इस तरह से भारत अमेरिका का एक पूर्ण सैन्य सहयोगी बना जाएगा।”
“ऐसा करके मोदी सरकार राष्ट्रीय संप्रभुता और देश की सामरिक स्वायत्तता से समझौता कर रही है.. उसे तुरंत लॉजिस्टिक समझौते से इन्कार कर देना चाहिए।”