मेलबर्न, 13 अगस्त (आईएएनएस)। निशानेबाजी को बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल-2022 में शामिल न करने पर अब भारत के बाद आस्ट्रेलिया भी इस प्रतियोगिता का बहिष्कार कर सकता है।
राष्ट्रमंडल खेल महासंघ (सीजीएफ) ने जून में फैसला किया था कि बर्मिघम में 2022 में होने वाले खेलों में निशानेबाजी को जगह नहीं दी जाएगी। 1970 के बाद से ऐसा पहली बार होगा कि राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी नहीं होगी।
सीजीएफ के इस फैसले के बाद भारत में बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेल-2022 के बहिष्कार की मांग उठने लगी है। दिग्गज निशानेबाज हिना सिद्धू ने हाल ही में कहा था कि भारत को 2022 में बर्मिघम में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों के बहिष्कार के बारे में विचार करना चाहिए। हिना के बयान के बाद आईओए के अध्यक्ष नरेंदर बत्रा ने कहा था कि खेलों का बहिष्कार एक विकल्प हो सकता है।
भारत के बाद अब आस्ट्रेलिया भी इस मांग में शामिल हो गया है। शूटर्स यूनियन आस्ट्रेलिया (एसयूए) ने इसकी मांग की है। यह एक लॉबी समूह है जो आस्ट्रेलिया में हजारों बन्दूक मालिकों और लोगों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है और यह अमेरिका में राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन से संबद्ध है।
आस्ट्रेलिया ने पिछले साल गोल्ड कोस्ट में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण पदक सहित नौ पदक जीते थे और वह भारत के बाद दूसरे सबसे ज्यादा पदक जीतने वाला देश था।
एसयूए के अध्यक्ष ग्राहम पार्क ने कहा, “आस्ट्रेलिया को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी को फिर से शामिल करने की मांग में भारत के साथ खड़ा होना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करता है तो इसका बहिष्कार करने के लिए तैयार रहें।”
पार्क ने कहा, “आस्ट्रेलिया को विश्व स्तर पर हमारी खेल उपलब्धियों के लिए जाना जाता है और मनमाने ढंग से हमारे शीर्ष निशानेबाजों को संभावित स्थान से वंचित करना हमारे एथलीटों के लिए सही नही है जो कड़ी मेहनत करते हैं। इससे पता चलता है कि सरकार आपके खेल के बारे में नहीं सोचती है। यह हमारे लिए पदक की संभावना को कम करता है जोकि हमारी राष्ट्रीय प्रतिष्ठा का सवाल है।”
आस्ट्रेलिया निशानेबाजी टीम की पूर्व मैनेजर जैन लिंसले ने दावा किया कि बमिर्ंघम 2022 से निशानेबाजी को हटाने से आस्ट्रेलिया में खेलों के भविष्य पर इसका गलत प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा, “जाहिर है कि अगर बमिर्ंघम खेलों में निशानेबाजी नहीं होती है तो आस्ट्रेलिया में शीर्ष स्तर की निशानेबाजी ट्रेनिंग के लिए धन कम हो जाएगा। इससे ओलंपिक के लिए निशानेबाजों को तैयार करने और उन्हें पदक जीतने के योग्य बनाने की हमारी कोशिशों को काफी बड़ा धक्का लगेगा।”