नई दिल्ली- भारत में 2017 में होने वाले फीफा अंडर-17 विश्व कप के टूर्नामेंट निदेशक जेवियर काप्पी का कहना है कि भारत 87 साल के बाद फीफा विश्व कप में हिस्सा ले रहा है और इस लिहाज से उसके पास खुद को साबित करने का बेहतरीन मौका है।
काप्पी ने आईएएनएस के साथ बातचीत में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि भारतीय टीम प्रतिस्पर्धी साबित होगी क्योंकि उसे मेजबान होने के नाते एक बहुत बड़े आयोजन में हिस्सा लेने का मौका मिल रहा है। यह आयोजन भारत में फुटबाल की दशा और दिशा बदल सकता है।
काप्पी ने कहा, “इसमें कोई शक नहीं कि भारत एक प्रतिस्पर्धी टीम साबित होगा। यह बेहद अहम बात है। भारत 87 साल के बाद पहली बार फीफा विश्व कप में हिस्सा ले रहा है। ऐसे में आप अपनी टीम से सिर्फ एक बात की उम्मीद कर सकते हैं और वह बेहतरीन खेल के अलावा और कुछ नहीं हो सकता।”
काप्पी ने कहा, “जब ग्वाटेमाला ने 2011 में कोलम्बिया में आयोजित अंडर-20 विश्व कप में पहली बार हिस्सा लिया था तब वह टीम अंतिम-16 दौर तक पहुंची थी और उस समय वहां की सरकार ने पांच दिनों के राष्ट्रीय अवकाश की घोषणा की थी। यह सिर्फ फुटबाल विश्व कप के अंतिम-16 दौर में पहुंचने के बाद ही हो सकता है क्योंकि यहां आपको 209 देशों के बीच अच्छा खेलते हुए मुख्य आयोजन के लिए क्वालीफाई करना होता है। ऐसे में भारत को यह सोचना होगा कि उसे खुद को साबित करने का एक बेहतरीन मौका मिला है और उसे हर हाल में अच्छा खेलना होगा। परिणाम क्या होता है यह अलग बात है लेकिन भारत को अपना प्रतिस्पर्धी स्तर बनाए रखना होगा।”
उल्लेखनीय है कि भारत फीफा अंडर-17 विश्व कप के तौर पर पहली बार फुटबाल के किसी वैश्विक टूर्नामेंट की मेजबानी करेगा। दिसम्बर, 2013 में अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) ने इस विश्व कप के लिए 10 मेजबान शहरों का चयन किया था। इनमें दिल्ली, चेन्नई, पुणे, मुम्बई, मडगांव, बेंगलुरू, कोच्ची, गुवाहाटी और नवी मुम्बई शामिल हैं।
काप्पी मानते हैं कि भारत में विश्व कप के लिहाज से हालांकि स्तरीय स्टेडियमों की कमी है। खासतौर पर भारत को स्टेडियमों की पिचों पर खास ध्यान देना होगा क्योंकि विश्व कप जैसे आयोजन के लिए पिच का विश्वस्तरीय होना अनिवार्य है।
काप्पी ने कहा, “विश्व कप जैसे आयोजन के लिए स्टेडियम विश्वस्तरीय होने चाहिए और पिच बेहतरीन होनी चाहिए। यह पैमाना हर एक मेजबान के लिए लागू होता है। एशिया, यूरोप, मध्य पूर्व या फिर दक्षिण अमेरिका, स्टेडियमों और पिच की गुणवत्ता को लेकर किसी प्रकार का समझौता नहीं किाय जा सकता।”
काप्पी ने कहा कि भारत में फीफा सभी निवेशकों और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम कर रहा है। बकौल काप्पी, ” मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि भारत विश्वस्तरीय संरचना के साथ विश्व कप का सफल आयोजन करेगा। इस सम्बंध में हमारे पास अधिक वक्त नहीं है। फरवरी 2016 से पहले हमें स्टेडियमों और पिच को लेकर कुछ अहम फैसले लेने हैं।”
तो क्या भारत में स्तरीय पिचों के निर्माण के लिए विदेशी सलाहकारों की मदद ली जाएगी? इस सवाल के जवाब में चिली निवासी काप्पी ने कहा, “नहीं, फीफा ऐसा नहीं करता। हम इस दिशा में भारत की हरसम्भव मदद को तैयार हैं लेकिन जमीनी स्तर पर काम भारत को ही करना है। विश्व कप के लिए पिच बेहतरीन स्थिति में होनी चाहिए। अभी एक भी पिच सही हालत में नहीं है लेकिन उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारत में कई पिचें विश्वस्तरीय स्थिति में होंगी।”
इस बड़े आयोजन के लिए भारत की अंडर-17 टीम के लिए क्या संदेश देना चाहेंगे? इस पर काप्पी ने कहा, “भारतीय खिलाड़ियों को प्रेरणा के लिए विदेशी क्लबों या खिलाड़ियों की ओर देखने की जरूरत नहीं है। भारत के पास चुन्नी गोस्वामी, बाइचुंग भूटिया और सुनील छेत्री के रूप में कई प्रेरक खिलाड़ी हैं और भारतीय खिलाड़ियों को बस उन्हीं की ओर देखने की जरूरत है। भारतीय खिलाड़ियों को अपनी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए अपने राष्ट्रीय हीरो के रूप में सामने आए खिलाड़ियों के खेल को ध्यान में रखना होगा और अच्छा खेलने का प्रयास करना होगा। भारतीय युवा खिलाड़ियों को अपनी राष्ट्रीय टीम का फैन होना चाहिए न कि विदेशी टीमों का।”