सागर, 18 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आएएसएस) के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में भारत की ओर सिर उठा रही विदेशी ताकतों का जिक्र करते हुए इजराइल से सीख लेने की नसीहत दी।
मध्य प्रदेश के सागर में संघ के एकत्रीकरण शिविर के समापन मौके पर रविवार को भागवत ने कहा, “हमारे देश को आजादी मिलने के साथ एक और देश अस्तित्व में आया था, वह था इजराइल। हमारे देश के पास हजारो किलोमीटर जमीन है, मगर इस देश के पास नम भूमि नहीं है, जो भी भूमि है वह है रेगिस्तान।”
भागवत ने आगे कहा कि सारी दुनिया में जगह-जगह भटक रहे यहूदी लोग अपना सर्वस्व न्यौछावर कर बसने के लिए वर्ष 1948 में इजराइल पहुंचे। जब वे वहां पहुंचे तब उनके पास कुछ नहीं था। जिस दिन वहां की नई संसद में देश की आजादी की घोषणा की जा रही थी, उसी समय आसपास के आठ देशों की सेनाओं ने मिलकर उस पर हमला कर दिया। यह हमला तब हुआ जब वहां की संसद में स्वतंत्रता का भाषण चल रहा था।
उन्होंने बताया कि उसके बाद इन देशों से इजराइल को पांच लड़ाइयां लड़नी पड़ी, आज कहां खड़ा है यह देश, रेगिस्तान वाला यह देश दुनिया का नंबर एक देश बन गया है। आज हाल यह है कि कम पानी वाली खेती का तंत्र सीखने के लिए हमारे देश के लोग वहां जाते हैं।
इतना ही नहीं, वह अपने कई उत्पाद दुनिया को निर्यात करता है। उसने कई लड़ाइयां लड़ीं और जीती भी, हर बार अपनी सीमा का विस्तार किया। जब यह देश बना था तब से आज उसका क्षेत्रफल डेढ़गुना है और दुनिया के सामने सिर उठाकर खड़ा है।
उन्होंने आगे कहा कि इजरायली और यहूदी की तरफ किसी में तिरछी नजर करके देखने का साहस नहीं है और जो ऐसा करता है उसकी आंख फूट जाती है। यह उसके सामथ्र्य की बात है। उस तुलना में हम हजारों किलो मीटर लंबी भूमि और करोड़ों की जनसंख्या, स्वतंत्रता का उत्साह सबके मन में है, उसके बाद भी हम कहां खड़े हैं यह विचारणीय है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।