कोलकाता, 1 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान और द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित सैयद नईमुद्दीन का मानना है कि विदेशी कोच की बजाय भारतीय कोच बेहतर तरीके से टीम को सफलता की ऊचांइयों पर ले जाने में मददगार हो सकते हैं।
कोलकाता, 1 नवंबर (आईएएनएस)। भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान और द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित सैयद नईमुद्दीन का मानना है कि विदेशी कोच की बजाय भारतीय कोच बेहतर तरीके से टीम को सफलता की ऊचांइयों पर ले जाने में मददगार हो सकते हैं।
नईमुद्दीन ने कहा कि विदेशी कोच करोड़ों रुपए की राशि वेतन में लेते हैं और उसके बावजूद वैसा परिणाम नहीं दे पाते।
नईमुद्दीन ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “सबसे बड़ी परेशानी यह है कि आप एक ओर विदेशी कोचों को अधिकारियों का अपमान करते और वेतन के रूप में मोटी रकम वसूलते देखते हैं, तो दूसरी ओर भारत के पूर्व कोच अमल दत्ता को फुटपाथ पर चात पीते देखेंगे।”
भारत के वर्तमान कोच स्टीफन कोंस्टेनटाइन के मार्गदर्शन में विश्व कप क्वालीफायर में भारतीय टीम ओमान, तुर्कमेनिस्तान, गुआम और ईरान के खिलाफ मैच हार चुकी है। इन हारों के कारण टीम को प्रशंसकों और पूर्व खिलाड़ियों से काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
भारतीय टीम के निराशाजनक प्रदर्शन पर नईमुद्दीन ने कहा, “हमारी टीम लगातार हार रही है, इसके बावजूद भी हमारा विदेशी कोचों पर विश्वास बना हुआ है। भारत की कुल आबादी को अगर कोलकाता की आबादी मान ली जाए तो गुआम कोलकाता के पार्क सर्कस इलाके जितना ही बड़ा होगा। इसके बावजूद हम हार गए। यह शर्म की बात है। भारतीय कोच ज्यादा बेहतर परिणाम दे सकते हैं।”
नईमुद्दीन ने कहा कि विदेशी कोचों से भारतीय कोच की तुलना करें तो भारतीय कोच बिना वेतन के बारे में ज्यादा सोचे हमेशा अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवा देते हैं।
अर्जुन पुरस्कार विजेता नईमुद्दीन ने कहा, “हम प्रशिक्षकों पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हैं और खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेज रहे हैं, लेकिन परिणाम क्या मिल रहा है? मुख्य बात यह है कि भारत हार रहा है, न कि आप और मैं।”
नईमुद्दीन 1986, 1997 से 1998 और 2005 से 2006 के बीच तीन बार भारतीय टीम के कोच रह चुके हैं।
वह 2007 में बांग्लादेश की राष्ट्रीय टीम के भी कोच रहे। विश्व कप क्वालीफाइयर मुकाबलों में भारतीय टीम द्वारा किए गए कुल पांच गोलों में से चार गोल अकेले करने वाले स्ट्राइकर सुनील छेत्री का सराहना करते हुए नईमुद्दीन ने कहा कि छेत्री को अन्य फॉरवर्ड खिलाड़ियों से उचित सहयोग नहीं मिला।
उनका कहना है कि जब तक अन्य फारवर्ड खिलाड़ियों को स्थानीय लीगों में अवसर नहीं मिलेंगे, तब तक राष्ट्र को फायदा नहीं होगा।
उन्होंने कहा, “आई-लीग और अन्य सभी टूर्नामेंटों में भारतीय स्ट्राइकरों की जगह विदेशियों को आगे रखा जाता है। आपको विदेशी स्ट्राइकरों के बजाय भारतीय स्ट्राइकरों को कमान देनी होगी और इसी से उनमें सुधार हो सकता है।”
नईमुद्दीन ने कहा, “हमें इतिहास से सीखना चाहिए। गौतम सरकार जैसे खिलाड़ियों के बारे में न सोचकर हम पेले के बारे में सोचते हैं। भारतीय फुटबाल खिलाड़ियों द्वारा किए गए काम को हम क्यों नहीं सराहते?”