लॉस एंजेलिस, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। गोल्डन ग्लोब और एम्मी अवार्ड विजेता हॉलीवुड अभिनेता एड एसनर कभी भारत नहीं आए और उन्हें भारत की पंरपराओं की अधिक जानकारी भी नहीं है, लेकिन वे कहते हैं कि वे इस पर अनुसंधान करना चाहेंगे।
लॉस एंजेलिस, 4 सितम्बर (आईएएनएस)। गोल्डन ग्लोब और एम्मी अवार्ड विजेता हॉलीवुड अभिनेता एड एसनर कभी भारत नहीं आए और उन्हें भारत की पंरपराओं की अधिक जानकारी भी नहीं है, लेकिन वे कहते हैं कि वे इस पर अनुसंधान करना चाहेंगे।
कैलिफोर्निया के अनाहीम में एसनर ने आईएएनएस को बताया, “मुझे भारतीय पौराणिक कथाओं के बारे में बेहद कम जानकारी है, लेकिन मुझे लगता है कि यह बेहद रोचक है। मौका मिला तो मैं शायद इस पर अनुसंधान करूंगा।”
एसनर ने चुटकी लेते हुए कहा, “मैं एशिया के काफी हिस्सों में गया हूं, लेकिन मुझे भारत जाने का मौका नहीं मिला। अब मैं थक चुका हूं। अगर आप मुझे जादुई कालीन पर ले जाना चाहें, तो मैं आपके साथ जरूर चलूंगा।”
जब भारत की मशहूर फिल्म इंडस्ट्री बालीवुड की चर्चा हुई तो उन्होंने कहा कि ब्रिटिश ड्रामा फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेर’ ने इसकी लोकप्रियता को विदेशों में भी फैला दिया है।
‘आउट ऑफ वूड्स’ फिल्म से लोकप्रिय अभिनेता एसनर ने पांच दशक तक सिने जगत को अपना योगदान दिया और ख्याति अर्जित की। 1980 में सर्वश्रेष्ठ टीवी एक्टर/ड्रामा वर्ग में और 1978 में उन्हें ‘लोऊ ग्रांट’ फिल्म के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड दिया गया। 1977 में उन्हें ‘रिच मैन पुअर मैन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेता की टेलीविजन ट्राफी दी गई।
1978 में उन्हें प्राइमटाइम एम्मी अवार्ड और 1980 में ड्रामा श्रंखला वर्ग में लोऊ ग्रांट के लिए अभूतपूर्व मुख्य अभिनेता पुरस्कार से नवाजा गया।
2002 स्क्रीन एक्टर्स गिल्ड अवार्ड्स में लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड जीतने वाले एसनर ने 2009 में फिल्म ‘अप’ में निभाए गए अपने किरदार कार्ल फ्रेडरिकसेन के रूप में एक बार फिर करोड़ों लोगों का दिल जीता।
1957 में टीवी श्रृंखला ‘स्टूडियो वन इन हॉलीवुड’ से शोबिज में कदम रखने वाले अभिनेता ने बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के लिए एनिमेटेड फिल्मों के महत्व को स्वीकार किया।
एसनर ने कहा, “जब मैं बच्चा था तब मैं भी इनसे प्रभावित होता था। मुझे ‘डम्बो’ के किरदार के साथ उसकी मां का कठोर व्यवहार और स्वार्थी सर्कस वालों का यतीम हाथी के साथ किया गया व्यवहार याद आता है। अब अद्भुत एनिमेटेड फिल्में बन रही हैं और उनसे अनोखी सीख ली जा सकती हैं।”