भारतीय नौसेना के जहाज़ जापान सागर में सैन्य गतिविधियों के लिए तैयारियाँ कर रहे हैं| 17 जुलाई को जापान सागर में रूसी-भारतीय नौसैनिक अभ्यास ‘इंद्र-2014’ का सक्रिय चरण शुरू होने वाला है|
भारतीय नौसेना के विध्वंसक जहाज़ आईएनएस ‘रणविजय’, फ्रिगेट ‘शिवालिक’ और आपूर्ति जहाज आईएनएस ‘शक्ति’ इन अभ्यासों में भाग लेने के लिए व्लादिवोस्तोक के बंदरगाह पहुँच चुके हैं|
15 जुलाई की सुबह रूसी प्रशांत बेड़े के प्रमुख पोत मिसाइल-क्रूजर ‘वर्याग’ पर नौसैनिक अभ्यास ‘इंद्र-2014’ का आधिकारिक उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया| दो दिन बाद जापान सागर की महान पीटर खाड़ी के पानी में भारतीय नौसेना के युद्धपोत रूसी क्रूजर ‘वर्याग’, बड़े पनडुब्बी रोधी जहाज ‘एडमिरल विनोग्रादाव’ और बड़े लैंडिंग शिप ‘पेरेस्वेत’ के साथ मिलकर सैन्य सहयोग के पैंतरों का अभ्यास शुरू करेंगे|
कार्यक्रम के अनुसार अभ्यास के दौरान दोनों देशों के युद्धपोत संयुक्त सुरक्षा प्रबंधन तथा हवाई और समुद्री ठिकानों पर मिसाइल प्रक्षेपण एवं तोपों से फायरिंग करेंगे| इसके अलावा संकट में फंसे पोत की सहायता के लिए भी कार्यविधि निर्धारित की जाएगी| युद्धाभ्यास में सक्रिय रूप से डेक हेलीकॉप्टर और नौसेना विमानन का उपयोग किया जाएगा|
समुद्री डाकुओं और आतंकवादियों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई के सिनारियो तैयार करते समय पूर्णतः वास्तविक लक्ष्य सामने रखे जाएंगे- ऐसा बताते हुए भू राजनीतिक समस्याओं की अकादमी के प्रथम उपाध्यक्ष कंस्तान्तिन सिव्कोव कहते हैं:
इस नौसैनिक अभ्यास के लक्ष्य और उद्देश्य बिलकुल सामान्य हैं| इनका सम्बन्ध कुछ विशिष्ट कार्यों को संबोधित करने के लिए संयुक्त पैंतरे तैयार करने का है| इनका सार समुद्री दुश्मन के खिलाफ हमला और सैन्य आपरेशनों का संचालन है|
अप्रैल महीने में व्लादिवोस्तोक में हुए इंद्र-2014 अभ्यास की योजना से सम्बंधित सम्मेलन में रूस और भारत के नौसैनिक बलों के प्रतिनिधियों ने इलाके में दोनों देशों के आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सहयोग में सुधार की जरूरत की ओर इशारा किया था|
यूक्रेन की घटनाओं की वजह से रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ जाने के कारण मास्को तेल और गैस की आपूर्ति के लिए नए मार्ग ढूँढने पर मजबूर हो गया है| आर्कटिक और सखालिन से तेल टैंकरों का परिवहन आज सबसे उपयुक्त मार्ग लग रहा है|