विमानवाहक युद्धपोत “विक्रमादित्य” भारतीय नौसेना का सबसे शक्तिशाली और आधुनिक युद्धपोत होगा। इस विमानवाहक का नौचालन परीक्षण रूस के श्वेत सागर में सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लिया गया है। इस का अंतिम आधिकारिक परीक्षण 15 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।
अभी हाल ही में “विक्रमादित्य” का पूरा हुआ नौचालन परीक्षण असल में दूसरी बार आयोजित किया गया था। बात दरअसल यह है कि पिछले साल के जून और अगस्त महीनों में श्वेत सागर और बेरिंत्स सागर में “विक्रमादित्य” की क्षमताओं का प्रदर्शन किया गया था। लेकिन तब यह युद्धपोत अपनी निर्धारित गति का प्रदर्शन करने में विफल रहा था। हुआ यह कि भारतीय पक्ष के अनुरोध पर इस युद्धपोत के बॉयलरों के थर्मल इन्सुलेशन के लिए जड़ी गई एस्बेस्टस शीटों के स्थान पर ईंटों का इस्तेमाल किया गया था। लेकिन जब “विक्रमादित्य” का नौचालन परीक्षण किया गया तो चीन में निर्मित ये ईंटें इस परीक्षण के दौरान उखड़ गईं। इसके फलस्वरूप युद्धपोत के इंजनों की क्षमता कम कर दी गई थी और जहाज़ की गति भी धीमी पड़ गई थी।
बॉयलरों के थर्मल इन्सुलेशन की मरम्मत के बाद, इस बार नौचालन परीक्षण पूरी तरह से सफल रहे हैं। 28 जुलाई, शनिवार की रात को इस युद्धपोत की इंजन-प्रणाली को इसकी अधिकतम क्षमता के साथ चलाया गया था। सभी आठ बॉयलरों में तापमान भी अधिकतम कर दिया गया था। और इस बार “विक्रमादित्य” अपनी इस परीक्षा में शत-प्रतिशत उरीर्ण हुआ। इस बार 40 हज़ार टन से अधिक जल-विस्थापन की शक्ति वाले इस पोत ने 29.3 समुद्री मील की रफ़्तार दिखाई जो कि इसकी निर्धारित गति से भी अधिक थी।
अब युद्धपोत “विक्रमादित्य” बारेंत्स सागर में चला जाएगा जहाँ विमानों के पूर्ण उड़ान परीक्षण होंगे। ये परीक्षण 3 अगस्त को शुरू हो जाएंगे। इनमें “मिग-29”, “मिग-29केयूबी” विमान तथा “का-28” और “के.ए.-31” वर्ग के हेलीकाप्टर भाग लेंगे। बेरिंत्स सागर में इस विमान-वाहक युद्धपोत की विमानन प्रणाली के परीक्षण के साथ-साथ भारतीय नौसेना के नाविकों को युद्धपोत के संचालन और इसके रखरखाव के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस संबंध में भू-राजनीतिक अध्ययन अकादमी के अध्यक्ष, प्रथम दर्जे के कप्तान कॉन्स्तांतिन सिव्कोव ने कहा-
“विक्रमादित्य” भारतीय नौसेना का सबसे शक्तिशाली और सबसे आधुनिक विमानवाहक युद्धपोत होगा। यह शक्तिशाली मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली से लैस होगा। यह प्रणाली न सिर्फ किसी एकल क्रूज़ मिसाइल को बल्कि हवा से हमला करनेवाले कई अस्त्रों को एक साथ तबाह कर सकती है। अब तक, अमरीकी युद्धपोतों सहित “विक्रमादित्य” वर्ग के सभी विमनावाहक पोत एक बार में केवल एक क्रूज़ मिसाइल को ही नष्ट कर सकते थे। लेकिन अब “विक्रमादित्य” इनसे आगे निकल गया है। इसके अलावा, “विक्रमादित्य” पर “मिग-29” वर्ग के लड़ाकू विमान तैनात किए जाएंगे जो भारतीय नौसेना के वर्तमान “हैरियर जी.आर.-3” विमानों से कहीं बेहतर हैं।
इन सभी परीक्षणों का सिलसिला 15 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। उसके बाद, एक महीने के अंदर “विक्रमादित्य” की छोटी-मोटी ख़ामियों को भी दूर कर दिया जाएगा। योजना के अनुसार, 15 नवंबर को “विक्रमादित्य” भारतीय नौसेना के हवाले कर दिया जाएगा। उसके बाद, भारतीय चालक-दल और रूसी विशेषज्ञों का एक छोटे-सा दल “विक्रमादित्य” को हिंद महासागर में ले जाएंगे जहाँ यह युद्धपोत भारत के तटों की रक्षा करने का अपना काम शुरू कर देगा।