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 भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है धर्म-धम्म की अवधारणा : राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु | dharmpath.com

Saturday , 23 November 2024

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भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है धर्म-धम्म की अवधारणा : राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु

March 3, 2023 10:13 pm by: Category: राज्य का पन्ना Comments Off on भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है धर्म-धम्म की अवधारणा : राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु A+ / A-

भोपाल :राष्ट्रपति श्रीमती द्रोपदी मुर्मु ने कहा है कि मानवता के दुख के कारण का बोध कराना और उस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना, पूर्व के मानववाद की विशेषता है, जो आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। धर्म-धम्म की अवधारणा भारतीय चेतना का मूल स्वर रही है। हमारी परंपरा में कहा गया है कि जो सबको धारण करता है, वह धर्म है। धर्म की आधार-शिला पर ही पूरी मानवता टिकी हुई है। राग और द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करूणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। नैतिकता पर आधारित व्यक्तिगत आचरण और समाज व्यवस्था पूर्व के मानववाद का ही व्यावहारिक रूप है। नैतिकता पर आधारित इस व्यवस्था को बचाए रखना और मजबूत करना हर व्यक्ति का कर्त्तव्य माना गया है। धर्म-धम्म की हमारी परंपरा में “सर्वे भवंतु सुखिन:” की प्रार्थना हमारे जीवन का हिस्सा रही है। यही पूर्व के मानववाद का सार-तत्व है और आज के युग की सबसे बड़ी जरूरत भी है। यह सम्मेलन मानवता की एक बड़ी जरूरत को पूरा करने की दिशा में सार्थक प्रयास है। यही कामना है कि समस्त विश्व समुदाय पूर्व के मानववाद से लाभान्वित हो। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु कुशाभाऊ ठाकरे हाल भोपाल में 7वें अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन के उद्घाटन कर रही थी।

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