नई दिल्ली, 5 सितंबर (आईएएनएस)। छात्रों से आजादी के बाद के अपने राजनीतिक अनुभव साझा करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के आर्थिक विकास के लिए सामाजिक क्षेत्र में निष्पादन पर जोर दिया।
सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करते हुए मुखर्जी ने उन कारकों का भी उल्लेख किया जिससे आजादी के बाद भारत पूरी तरह से बदल गया है। उन्होंने भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए जरूरी चीजों पर भी प्रकाश डाला।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज दुनिया में देसी आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है, लेकिन मोटे तौर पर भारत इससे बचा हुआ है।
उन्होंने इसका श्रेय सुशासन और प्रशासन को दिया जिसने देसी आतंकवाद को सिर नहीं उठाने दिया है।
वह राष्ट्रपति भवन परिसर में स्थित राजेंद्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय के 11वीं और 12वीं के छात्रों को संबोधित कर रहे थे। शिक्षक दिवस के अवसर पर मुखर्जी लगातार दूसरी बार छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
धर्मनिरपेक्षता को भारत की ताकत बताते हुए मुखर्जी ने कहा कि धर्मनिरपेक्षवाद हमारे जीवन का हिस्सा है और अब भी यह विकसित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सांप्रदायिक सौहाद्र्र बिगड़ गए थे, हालांकि भारत को खुश होना चाहिए कि उसके नेताओं और राजनेताओं ने लोगों को एकजुट रखा।
अपने शुरुआती जीवन में कुछ दिनों के लिए शिक्षक रहे मुखर्जी ने छात्रों को भारतीय अर्थव्यवस्था को विकसित करने के गुरु मंत्र दिए।
उन्होंने कहा कि दुनिया को टक्कर देने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों को आज भी जोर से आगे बढ़ाने की जरूरत है।
देश के आर्थिक विकास के लिए सामाजिक क्षेत्र में प्रदर्शन पर जोर देते हुए पूर्व वित्त मंत्री मुखर्जी ने कहा कि देश में बेरोजगारी बढ़ाने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक रूप से प्रगति करने के लिए दो महत्वपूर्ण कारक हैं।
मुखर्जी ने कहा, “समाजिक क्षेत्र का समग्र विकास होना चाहिए जिसमें अन्य चीजों के साथ स्वास्थ्य और सामाजिक बुनियादी ढ़ांचा शामिल हैं। सामाजिक वितरण और समता के साथ विकास भी जरूरी है।”
राष्ट्रपति ने आर्थिक विकास के लिए रोजगार सृजन को जरूरी बताया।
उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के भीतर इस तरह के विचार बन रहे हैं कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होने चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने पर चुनाव आयोग भी अपने विचार रख सकते हैं और इस संबंध में प्रयास कर सकते हैं।
भारत के दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन (5 सितंबर, 1888) के जन्म दिन को भारत शिक्षक दिवस के रूप में मनाता है।
राधाकृष्णन शिक्षा के दृढ़ समर्थक थे। वह एक प्रसिद्ध राजनेता और विद्वान थे। इन सबसे बढ़कर पूर्व राष्ट्रपति एक शिक्षक थे।
शिक्षक दिवस समाज के प्रति शिक्षकों के योगदान को नमन करने का अवसर है।