अनिल सिंह(भोपाल)- एक छात्रा की हिम्मत की कीमत उसे मानसिक प्रताडना के रूप में चुकानी पडी और उसे प्रताडना देने वाली उसकी ही विभागाध्यक्ष है,घटना है भाभा कॉलेज मे MBA मे अध्यनरत छात्रा की और उसे प्रताडित करने वाली है उसके विभाग की विभागाध्यक्ष अलका तिवारी.
घटना आज दोपहर 12 बजे की है,पिछले दो महीनों से अलका तिवारी द्वारा मानसिक प्रताडना की शिकार इस युवा से जब नहीं रहा गया तब उसने अपने परिजनों से अपनी दास्तान बयां की परिजनों ने जब कोशिश की तब भी यह घमंडी और तालिबानी मास्टरनी नहीं मानी और प्रताडना का दौर इसने जारी रखा,तब बात हम तक पहुंची हमने अलका तिवारी से बात करने की कोशिश की परन्तु इसके असिस्टेंट साहू ने हमें मिलने नहीं दिया,ना ही इस मास्टरनी ने हमसे बात की,अन्ततः आज हम छात्रा तथा उसके पिता के साथ भाभा कॉलेज पहुँचे तब यह विभागाध्यक्ष वहा मिल गयी,जब हमने परिचय दिया तब इसने कहा कुछ इंतजार करिये बात करते हैं और फोन करके अपने सहयोगियों को बुला लिया.
कुछ देर की बैठक के बाद इनका सहयोगी आशीष पांडे नामक व्यक्ति आया और बोला कि बस लड़की एवम उसके पिता से बात होगी किसी पत्रकार से नहीं हमने कारण पूछा तो यह गुंडा अपनी असलियत पर आ गया और गार्डो को बुला कर हमसे धक्का- मुक्की करने लगा और बोला यहा दिखना नहीं वर्ना जान से मरवा देंगे.
किस गलती कि सजा दी जा रही थी इस छात्रा को
हुआ यह था कि इस लड़की ने प्रोजेक्ट जमा करने मे देरी होने पर मांगी गयी फीस जो 200 रूपये थी जमा करने के बाद यह पूछ लिया कि इसकी रसीद कब मिलेगी बस यही दुस्साहस अलका तिवारी के तालिबानी शासन को नागवार गुजरा और उसने इस बच्ची को मानसिक प्रताडित करना शुरू कर दिया,सभी विद्यार्थियों को परीक्षा फॉर्म भरने के लिये नो डियूज दिया गया लेकिन इसका केस अलका तिवारी का केस कह कर मना कर दिया गया,जब भी यह अलका तिवारी से बात करती अलका तिवारी अनर्गल और बदतमीजी भरी बातें कर इसे भगा देती.
पुलिस से भी सहयोग नहीं मिला
जब हमें आशीष पांडे और उसके गुरगों ने घेर लिया तब हमने पुलिस को सूचित कर सुरक्षा हेतु सहयोग मांगा,पुलिस की चीता मोबाइल से बात होने के बाद जब की उन्होने दस मिनट मे आने को कहा था आधे घंटे बाद भी वे नहीं आये उस बीच हमने किसी तरह से अपने को इन जल्लादों से बचाया,ये पुलिस कर्मचारी भी इन्ही के कहने पर कार्य करते हैं,बाद मे इन पुलिस कर्मियों की उपस्थिति मे हमने इनसे बात की.
इस बीच अलका तिवारी ने लड़की के पिता को यह तक कह दिया की आप की रिपोर्ट पुलिस मे दर्ज करवा देगी .
अखिरकार पुलिस मे रिपोर्ट दर्ज करवानी पडी
वहा से बचते बचाते हम मिसरोद् थाने गए,वहा रिपोर्ट दर्ज करने वाले अधिकारी ने उल्टे हमे ही अपराधी बनाना शुरू किया और एक पर्चे पर बिना थाने की मुहर लगाये एक कागज दिया जिसे उस अधिकारी ने FIR कहा.
आखिर क्यों शिक्षा के मंदिरों मे यह सब हो राहा है,हमारे युवा क्या सीखेंगे इन सबसे ,इन महाविद्यालयों मे ना ही योग्य शिक्षक हैं और ना ही किसी किस्म की सुविधायें,बस इन्हे आता है कैसे शोषण किया जाय इन विद्यार्थिओ का और उनके अभिभावकों की जेबों का ,क्या सीख कर ये आयेंगे समाज मे,इन्हे जिस तरह से कुंठा ग्रस्त किया जा रहा है क्या ये अपना बेहतर समाज और देश को डे पायेंगे यह चिन्ता का विषय है.