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 भाजपा मे संयोजन् की कवायद:गोविंदाचार्य और संजय जोशी की वापसी तय | dharmpath.com

Tuesday , 8 April 2025

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भाजपा मे संयोजन् की कवायद:गोविंदाचार्य और संजय जोशी की वापसी तय

safe_imageविधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के जबरदस्त प्रदर्शन के बाद आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर संघ-परिवार आगामी लोकसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता और संघ भारतीय जनता पार्टी में कोई बिखराव नहीं देखना चाहता। जिसके मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी दोनों ही इस मिशन में लग गए हैं। जानकारी के अनुसार बीते 24 दिसंबर को राजनाथ सिंह ने सभी भाजपा प्रदेश अध्यक्षों की और सभी भाजपा मुख्यमंत्रियों की बैठक दिल्ली में बुलाई थी। उस बैठक में जैसे ही संजय जोशी का मामला उठा, श्री सिंह ने खामोशी से ही सही लेकिन इस बात के संकेत दे दिए हैं कि संजय जोशी को जल्द ही कोई बड़ी ज़िम्मेदारी दी जा सकती है। यही नहीं, सूत्रों के मुताबिक पार्टी से नाराज चल रहे गोविंदाचार्य को भी मनाने की कोशिशें की जा सकती हैं। राजनाथ सिंह का यह कदम इसलिए प्रशंसनीय है क्योंकि वह सही वक्त पर सही कोशिश को अंजाम देने में लगातार लगे हैं।

केशुभाई पटेल के बेटे भरत पटेल को अगर भाजपा में शामिल कराया गया तो कहीं न कहीं इस बात को मानिए कि राजनाथ सिंह ने केशुभाई का भी भाजपा में रास्ता साफ कर दिया है। होना भी चाहिए, क्योंकि वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में केशुभाई ने जीपीपी प्रमुख के रूप में नरेंद्र मोदी के खिलाफ मोर्चा खोला था। उस चुनाव में जीपीपी को केवल दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा। सवाल है कि केशुभाई और मोदी के बीच दूरी से तो फायदा हमेशा कांग्रेस व ऐसी दूसरी पार्टियों को ही तो होना है जिनकी गलत नीतियों से जनता को मुक्त कराने का हवाला देते हुए ये जनता के बीच जाते हैं। और केशुभाई को अलग होकर हासिल ही क्या हुआ ? उल्टे विरोधियों के मजबूत होने की संभावनाएं प्रबल हो जाती हैं। ऐसे में अगर केशुभाई भी भाजपा में एंट्री करना चाहें और राजनाथ सिंह इसकी स्वीकारोक्ति दें तो इसमें पार्टी की एकजुटता का ही काम होगा और सबका भला। भरत की वापसी से लेउवा पटेल (पटेल समाज का एक फिरका) में भाजपा की जमीन मजबूत होगी। आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा की अधिक से अधिक सीटें जीतने का प्रयास है। पटेल समाज में केशुभाई का अच्छा खासा प्रभाव है। इस असर का लाभ भाजपा लेने की रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है। भला इसलिए भी होगा क्योंकि पार्टी के कई नेता व देश के भाजपा समर्थक जहां राजनाथ के कदमों को पार्टी हित में ऐतिहासिक कदम मान रहे हैं, वहीं यह भी बता रहे हैं कि इसमें उनका संकल्प कि नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाना है, की राह को सुलभता मिलेगी। अगर येदियुरप्पा ने कर्नाटक में कर्नाटक जनता पक्ष (केजेपी) का गठन किया और पार्टी मौजूदा परिवेश में उन्हें मनाने में कामयाब हो गई तो पार्टी और नरेंद्र मोदी के नजरिए से तो यह काफी अच्छा रहा, क्योंकि येदियुरप्पा ने आते ही कहा, ‘वह एक ही एजेंडा के साथ पार्टी में लौटेंगे कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाना है, हम इसका स्वागत करते हैं।‘

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