भोपाल, 6 नवंबर (आईएएनएस)। देश में बढ़ी असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे कथित हमलों के बीच उपजे विरोध के स्वरों पर सत्तापक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर जनता दल (युनाइटेड) की मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ (आरएसएस) से पूछा है कि उसके कितने नेता आपातकाल में जेल गए और माफी मांगकर छूट गए।
भोपाल, 6 नवंबर (आईएएनएस)। देश में बढ़ी असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हो रहे कथित हमलों के बीच उपजे विरोध के स्वरों पर सत्तापक्ष द्वारा उठाए जा रहे सवालों पर जनता दल (युनाइटेड) की मध्य प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ (आरएसएस) से पूछा है कि उसके कितने नेता आपातकाल में जेल गए और माफी मांगकर छूट गए।
देश में तीन बड़े रचनाधर्मियों की हत्या के बाद बड़ी संख्या में साहित्यकार, फिल्मकार, कलाकार, इतिहासकार व वैज्ञानिक अपने पुरस्कार लौटाकर विरोध दर्ज करा रहे हैं। इस पर भाजपा और संघ की ओर से लगातार यह प्रचारित किया जा रहा है कि सम्मान लौटाने वाले वामपंथी और कांग्रेस से नजदीकियां रखने वाले लोग हैं। साथ ही वे सवाल कर रहे हैं कि जब देश में आपातकाल लगा था, तब उन्होंने सम्मान क्यों नहीं लौटाया।
देश में बढ़ती असहिष्णुता और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमलों के विरोध में सम्मान लौटाने वालों पर भाजपा और संघ की ओर से आ रही प्रतिक्रियाओं पर प्रदेश जदयू प्रमुख ने आईएएनएस से कहा, “इन्हें यह पता ही नहीं है कि आपातकाल में ‘तीसरी कसम’ के लेखक फणीश्वरनाथ ‘रेणु’ सहित कई साहित्यकारों ने किस तरह विरोध किया था और जेल भी गए थे।”
यादव ने आगे कहा कि इंदिरा गांधी ने तो संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर आपातकाल लगाया था, वह लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार थी, मगर नरेंद्र मोदी की सरकार तो अघोषित आपातकाल लगाकर संघ के हिडन एजेंडा (छुपी हुई योजना) पर काम कर रही है। यह सरकार लोकतंत्र के नाम पर ‘तानाशाही’ कर रही है।
उन्होंने आगे कहा, “भाजपा की मातृ संस्था संघ है और भाजपा उसकी राजनीतिक शाखा है, संघ अपने हिंदुत्व के एजेंडे को अमल में लाना चाहती है और उसकी इसी मंशा को पूरा करने में सरकार लग गई है, यही कारण है कि जो भी सांप्रदायिक सद्भाव की बात करता है या बढ़ती कट्टरता पर अपनी बेबाक राय जाहिर कर रहा है, उसे कुचलने की कोशिश हो रही है।”
सम्मान लौटाने वालों को भाजपा द्वारा एक खास विचारधारा का समर्थक बताए जाने और आपातकाल के दौरान सम्मान न लौटाने के बयानों पर यादव ने कहा, “भाजपा और संघ को आपातकाल की बड़ी याद आ रही है, वह यह तो बताए कि आपातकाल में उसके दल और संघ से जुड़े कितने लोग जेल गए थे और कितने माफी मांगकर छूटे थे।”
यादव ने आगे कहा कि भाजपा सिर्फ अपने राजनीतिक लाभ के लिए आपातकाल की बात करेगी, मगर यह सच कभी नहीं बताएगी कि इस आपातकाल में उसके दल की क्या भूमिका रही, क्योंकि ऐसा करने पर उसकी पोल खुल जाएगी और माफी मांगने वालों का चेहरा बेनकाब हो जाएगा।
यादव ने आगे कहा कि यह कहने में कतई संकोच या हिचक नहीं है कि भाजपा ने जब से देश की सत्ता संभाली है, उसके बाद से देश का माहौल बिगड़ा है।
उन्होंने कहा कि बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का चेहरा भी बेनकाब हुआ है। उसके तमाम नेताओं ने प्रधानमंत्री को ओबीसी बताकर वहां की फिजा में जातिवाद और संप्रदायवाद का जहर घोलने की हर संभव कोशिश की, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक को पाकिस्तान भेजने की बात कही गई, मगर उसे कामयाबी नहीं मिली।
यादव ने कहा, “दरअसल, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को यह लगता है कि सांप्रदायिक भावना भड़काकर ही चुनाव जीते जा सकते हैं। ये लोग गुजरात में ऐसा ही कर कामयाब होते रहे हैं, लेकिन समूचा देश गुजरात नहीं है, उनका यह भ्रम दिल्ली चुनाव में टूटा, बिहार चुनाव में भी टूटेगा।”
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव के नतीजे भाजपा की इस घृणित राजनीति का जवाब देंगे।