नई दिल्ली, 24 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मुख्यमंत्री उम्मीदवार किरण बेदी ने कहा है कि संघ परिवार में किनारे लगाए लोग ‘घर वापसी’ के लिए अभियान चला रहे थे, जिस पर पार्टी नेतृत्व ने अंकुश लगाया है।
टीवी कार्यक्रम आपकी अदालत में शनिवार को एक सवाल के जवाब में किरण ने कहा, “वे दरकिनार किए गए लोग हैं। उन्हें रोका गया है और संदेश दिया गया है। पार्टी नेतृत्व ने अपनी शैली में संदेश पहुंचाया है।”
घर वापसी के मुद्दे पर मोदी की चुप्पी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “आपको कैसे पता कि मोदीजी चुप हैं? समस्या यह है कि पार्टी में फैसला कुछ होता है और मीडिया में खबरें कुछ और आती हैं। मुझे लगता है कि नेतृत्व को यह अधिकार है और प्रधानमंत्री को हर मुद्दे पर नहीं बोलना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री इस बात को लेकर बेहद सजग हैं कि कहां क्या बोलना है। उनका एजेंडा एक ही है-सबका साथ, सबका विकास।”
किरण ने हालांकि यह भी कहा कि घर वापसी कोई अपराध नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि तब अंकुश लगाए जाने की बात का प्रचार क्यों? मगर इस सवाल को झटकते हुए उन्होंने कहा, “न तो घर वापसी अपराध है और न ही धर्मातरण। भारत में अपनी इच्छा से धर्म बदलने का सबको अधिकार है, हां बलपूर्वक धर्मातरण कानूनन अपराध है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या मुसलमान उनसे किनारा कर रहे हैं, उन्होंने कहा, “किसी भी मुसलमान भाई से आप पूछ लीजिए कि अपने कार्यकाल के दौरान क्या मैंने किसी के साथ भेदभाव किया? मेरे लिए हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई सभी समान हैं।”
किरण ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता अरविंद केजरीवाल की आलोचना करते हुए कहा कि दिल्ली के मतदाताओं के साथ उन्होंने न केवल छल किया, बल्कि अनशन के पहले गांधीवादी नेता अन्ना हजारे को भी गुमराह किया।
पूर्व आईपीएस अधिकारी हालांकि इस बात का जबाव नहीं दे पाईं कि अन्ना की मुहिम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन कांग्रेस विरोधी आंदोलन में कैसे तब्दील हो गया।
उन्होंने कहा, “केजरीवाल अन्ना से इजाजत लिए बिना अनशन पर बैठे और इसके बाद अन्ना को बुलाया। आप उनसे पूछ सकते हैं। अन्ना को तो यह भी पता नहीं था कि अनशन आखिर हो किसलिए रहा है। वह अनशन को लेकर हठ पर अड़े थे। उनका मकसद संसद पहुंचना था। इसलिए उनकी पूरी राजनीति ही झूठ की बुनियाद पर टिकी है।”
‘भाजपा या कांग्रेस पैसे दे तो ले लेना, मगर उन्हें वोट मत देना’ वाले केजरीवाल के बयान की आलोचना करते हुए किरण ने कहा, “वह लोगों को भ्रष्टाचार सिखा रहे हैं और उन्हें भ्रष्ट बना रहे हैं। वह ऐसा क्यों नहीं कहते कि अगर कोई पैसे दे तो मत लो?”
गौरतलब है कि केजरीवाल ने इस बयान के जरिए कांग्रेस और भाजपा के भ्रष्टाचार की ओर इशारा किया था। उन्होंने कहा था कि इन दोनों पार्टियों ने सरकारी खजाने लूट-लूटकर काफी पैसे इकट्ठे कर लिए हैं, इसलिए ये दोनों पैसे दें तो इनकार मत करना। इनके दफ्तर जाकर इनसे वसूल कर लेना।
केजरीवाल के इस बयान को जनता दल-युनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने सही ठहराया था।
यह पूछे जाने पर कि पार्टी के लिए 40 साल से काम कर रहे भाजपा नेता आपको मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर कैसे स्वीकार करेंगे, किरण ने कहा, “मैंने उनके बीच एक अच्छाई देखी है। यह श्रेय उनके इतिहास और कार्यकर्ताओं को जाता है। एक बार जब सामूहिक रूप से निर्णय ले लिया गया, सबने उसे माना और सब साथ मिलकर काम कर रहे हैं। यह एक अनुशासित पार्टी है।”
उल्लेखनीय है कि किरण ने भाजपा सांसदों को चाय पर बुलाया था, मगर कई सांसद नहीं पहुंचे थे। हर्षवर्धन पहुंचे तो, मगर इतनी देर से कि उनकी किरण से मुलाकात ही नहीं हुई।
किरण ने यह भी खुलासा किया कि भाजपा में उन्हें लाने में पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दिल्ली के लोगों के लिए ‘6पी’ एजेंडा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि 6पी में प्राचार्य व अभिभावक, सामुदायिक पुलिस, जेल सुधार, मामले की त्वरित तौर सुनवाई तथा प्रेस शामिल है।