वाशिंगटन, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। ब्रिक्स समूह द्वारा स्थापित नवीन विकास बैंक ने देश की महत्वाकांक्षी नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के लिए 25 करोड़ डॉलर ऋण देने का फैसला किया है। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी।
नवीन विकास बैंक की स्थापना ब्रिक्स गुट ने की है, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। बैंक का मुख्यालय शंघाई में है। बैंक ने एक नए अकादमिक संस्थान और सहायक इकाई के तौर पर एक रेटिंग एजेंसी की स्थापना पर विचार करने का भी फैसला किया है।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने ट्विटर पर पोस्ट एक संदेश में कहा, “ब्रिक्स के वित्त मंत्रियों और नवीन विकास बैंक के शासकीय परिषद (बोर्ड ऑफ गवर्नर) की बैठक में हिस्सा लिया। महत्वपूर्ण नीतिगत मुद्दे पर चर्चा हुई।”
दास ने यहां वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद पोस्ट ट्वीट में कहा, “नवीन विकास बैंक ने चार ऋण मंजूर किए, जिसमें भारत में नवीकरणीय ऊर्जा योजना के लिए 25 करोड़ डॉलर का ऋण भी शामिल है। बेहतरीन शुरुआत।”
अधिकारियों के मुताबिक, इस ऋण का उपयोग सौर ऊर्जा क्षेत्र में किया जाएगा। यह बैंक की पहली ऋण मंजूरी है।
बाद में भारतीय पक्ष द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि कई खेपों में दिया जाने वाला यह ऋण केनरा बैंक को मिलेगा, जो बाद में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं को ऋण देगा। बयान में कहा गया है, “इस परियोजना से 500 मेगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता हासिल होगी और करीब आठ लाख टन कार्बन उर्त्सन घटेगा।”
भारत, चीन, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के लिए कुल 81.1 करोड़ डॉलर के ऋणों को मंजूरी दी गई है।
भातीय बैंकर केवी कामत नवीन विकास बैंक के प्रथम अध्यक्ष हैं।
उल्लेखनीय है कि ब्रिक्स देशों के वित्तमंत्री और केंद्रीय बैंकों के गवर्नर अमेरिका में विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वसंत बैठक में हिस्सा लेने के लिए जुटे हैं। दास के अलाव जेटली के प्रतिनिधिमंडल में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्ममण्यम भी शामिल हैं।
बैठक में जेटली ने कहा कि गत तीन तिमाहियों में भारतीय विकास दर प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक रही है, फिर भी वैश्विक दर काफी कम है और लगातार इसे संशोधन के साथ घटाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “कमजोर मांग, वित्तीय बाजार की चुनौतीपूर्ण स्थिति, व्यापार में गिरावट और पूंजी प्रवाह में अनिश्चितता वैश्विक विकास के समक्ष बड़ी चुनौतियां हैं। साथ ही मौद्रिक नीति उपकरणों की क्षमता अपनी सीमा पर पहुंच चुकी है।”
उन्होंने कहा, “वैश्विक और क्षेत्रीय वित्तीय सुरक्षा तंत्र और निगरानी को बढ़ाने की जरूरत है।”
जेटली ने ब्रिक्स के सदस्य देशों के साझा मुद्दे भी उठाए, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था, संरचनागत सुधार, आईएमएफ और विश्व बैंक में मताधिकार सुधार शामिल हैं।
उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि ब्रिक्स की दो प्रमुख पहल आकस्मिक रिजर्व व्यवस्था और नवीन विकास बैंक का संचालन शुरू हो चुका है। नवीन विकास बैंक संस्थान और ब्रिक्स रेटिंग एजेंसी की स्थापना पर भी विचार हुआ है।