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ब्रांड मैगी को मरने नहीं देगी नेस्ले

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। मैगी के सुरक्षा पहलुओं को लेकर उठा विवाद तीन दशकों में निर्मित किए गए इस ब्रांड के लिए एक बड़ा आघात जैसा है, लेकिन ऐसा भी नहीं माना जा सकता कि इसे बनाने वाली कंपनी आसानी से इस ब्रांड को अपने हाथ से निकल जाने देगी।

नई दिल्ली, 7 जून (आईएएनएस)। मैगी के सुरक्षा पहलुओं को लेकर उठा विवाद तीन दशकों में निर्मित किए गए इस ब्रांड के लिए एक बड़ा आघात जैसा है, लेकिन ऐसा भी नहीं माना जा सकता कि इसे बनाने वाली कंपनी आसानी से इस ब्रांड को अपने हाथ से निकल जाने देगी।

उत्तर प्रदेश के एक छोटे-से कस्बे से लिए गए मैगी के नमूनों में सीसा और मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी) की खतरनाक स्तर तक मौजूदगी पर विवाद उठने के बाद से नेस्ले के शेयरों में पिछले छह कारोबारी सत्रों में करीब 15 फीसदी गिरावट दर्ज की जा चुकी है।

विश्लेषकों के मुताबिक, कुछ समय के लिए नेस्ले के शेयरों में गिरावट बनी रह सकती है। इस दौरान आईटीसी के नूडल यिप्पी तथा अन्य प्रतियोगी ब्रांड को कुछ लाभ भी मिल सकता है।

नेस्ले को ग्राहकों के मन से भय मिटाने के लिए संवाद प्रक्रिया पर काफी खर्च करना होगा।

नेस्ले के चार कारोबारी खंडों में मैगी बनाने वाले खंड ‘तैयार भोज्य पदार्थ और रसोई सहायता’ का 2014 में कुल बिक्री में 31.5 फीसदी योगदान था। तीन अलग खंडों में दुग्ध उत्पाद और पोषण का 47.1 फीसदी, चॉकलेट का 12.2 फीसदी और पेय का 9.2 फीसदी योगदान था।

नेस्ले ने कहा, “नेस्ले इंडिया भारत में बने मैगी को अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और केन्या जैसे देशों में भी निर्यात करती है।” कंपनी ने कहा, “हम दूसरे देशों में भी मैगी बनाते हैं और भारतीय स्थिति से वे प्रभावित नहीं हुए हैं।”

कंपनी ने कहा, “हम उन देशों के नियामकों के संपर्क में हैं और जो जांच कराना चाहते हैं, उनके साथ सहयोग कर रहे हैं।”

संकट से उबरना कंपनी के लिए आसान नहीं होगा। मैगी ब्रांड का अस्तित्व स्विट्जरलैंड में 1872 में पैदा हुआ था। नेस्ले ने 1947 में इसका अधिग्रहण कर लिया था। कंपनी इस ब्रांड से अभी सूप, नूडल, सॉस और चटनी जैसे उत्पाद पेश कर रही है।

भारत में मैगी 1982-83 में लांच की गई थी। भारत में गत तीन दशकों में यह ब्रांड स्थापित हो चुका है और ग्राहकों के दिमाग से यह तुरंत नहीं निकलेगा। न ही कंपनी इसे निकलने देगी। लेकिन इस ब्रांड को भारत में जीवित रखने के लिए कंपनी को एड़ी-चोटी का जोर भी लगाना पड़ेगा।

प्रतिष्ठित बाजार विश्लेषक देवेन चोक्सी ने कहा, “विवाद से बाहर निकलने के लिए कंपनी को हितधारकों के साथ संवाद शुरू करना चाहिए। लिखित संवाद काफी महत्वपूर्ण है। कंपनी को एक आडियो-विजुअल बनाकर अपनी वेबसाइट पर भी डालना चाहिए।”

शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में नेस्ल के वैश्विक मुख्य कार्यकारी अधिकारी पॉल बुल्के ने बार-बार विश्वास और ग्राहकों का भरोसा बनाने की बात पर बल दिया।

बुल्के ने कहा, “मैगी का विश्वास भारत में 30 साल से कायम है। पूरी दुनिया में हमारे लिए अपने ग्राहकों का भरोसा और उत्पादों की सुरक्षा शीर्ष प्राथमिकता है। अब हमारी प्राथमिकता भ्रम दूर करने के लिए सभी हितधारकों से संवाद कायम करना है। मैगी जल्द ही बाजार में फिर से आ जाएगा।”

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