नई दिल्ली, 11 जून (आईएएनएस)। बैंकों को जल्द-से-जल्द गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की पहचान करनी चाहिए और ऋण धारकों को ऋण चुकाने में मदद करनी चाहिए। एनपीए को छुपाने से सभी पक्ष को नुकसान है। यह बात भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कही।
डिप्टी गवर्नर एसएस मुंद्रा ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा एनपीए को छुपाने से बैंक और ग्राहक दोनों को नुकसान है।
उन्होंने कहा कि किसी खाते को एनपीए में बदलना कोई पाप नहीं है। जब भी किसी ऋण को चुकता नहीं हो रहा हो, बैंकों को जल्द-से-जल्द उसकी पहचान अपने खाते में करनी चाहिए और ऋण धारक को मदद भी करनी चाहिए।
इससे दोनों पक्षों को वास्तविक स्थिति पता रहेगी। जब भी कोई ऋण एनपीए घोषित हो, दोनों पक्षों को साथ बैठकर भविष्य की योजना तय करनी चाहिए।
मुंद्रा ने साथ ही कहा कि बैंकों में निवेश करने के लिए निर्धारित किया गया 7,940 करोड़ रुपये का कोष नाकाफी है।
उन्होंने कहा कि इस राशि का कुछ हिस्सा खातों को दुरुस्त करने में किया जाएगा और अर्थव्यवस्था में तेजी आने के बाद भी अतिरिक्त धन की जरूरत होगी।