रायपुर, 17 अक्टूबर –दुनिया की हर नारी के लिए सबसे प्यारा शब्द ‘मां’ होता है। मगर एक बच्चा अपनी मां को मां कहकर पुकार न सके तो इससे बड़ा दुख उस मां के लिए कुछ नहीं होता। छह साल इंतजार के बाद बेटा जब ‘मां’ बोला तो मुन्नी की आखों में आंसू छलक पड़े। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के टिकरापारा में रहने वाली मुन्नी देवी बेटे शिवम के मुंह से मां शब्द सुनने के लिए तरसती रही। पुलिस स्टेशन के पीछे टिकरापारा में रहने वाले बच्चूलाल श्रीवास और मुन्नी का बेटा शिवम बचपन से ही बोल और सुन नहीं पाता था। शुरुआत में घरवालों ने सोचा कि अभी छोटा है, धीरे-धीरे बोलना सीखेगा। लेकिन तीन साल का होने के बाद भी शिवम कुछ बोल नहीं पाता था। बच्चूलाल ने मेकाहारा अस्पताल में शिवम की जांच कराई।
जांच में पता चला कि शिवम की कॉक्लीयर इम्प्लांट सर्जरी करानी पड़ेगी, जिसमें लाखों रुपये लगेंगे। यह सुनकर बच्चूलाल की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। नाई का काम कर रोजी-रोटी चलाने वाले बच्चूलाल के लिए लाखों तो क्या हजारों रुपए जुटाना भी मुश्किल था। ऐसे में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना शिवम के सूने जीवन में मधुर संगीत बनकर आई।
आपरेशन से पहले एक साल तक मेकाहारा में शिवम की स्पीच थेरेपी की गई। डॉक्टर ने शिवम को इशारों से बोलना और पढ़ना सिखाया और बच्चूलाल ने सामान्य बच्चों की तरह शिवम का दाखिला भामाशाह विद्या मंदिर स्कूल में करा दिया। तेज दिमाग शिवम अन्य बच्चों की तरह सारी चीजें सीख जाता था। मार्च 2014 में शिवम का आपरेशन हुआ। इसमें लगभग पांच लाख रुपये का खर्च आया। पूरा खर्च शासन ने वहन किया गया। आपरेशन के बाद भी शिवम की स्पीच थेरेपी जारी है।
आज शिवम धीरे-धीरे बोलने लगा है और पहली कक्षा में पढ़ता है। बच्चूलाल बताते हैं कि वह रोज शिवम को स्कूल छोड़ने जाते हैं। पहले शिवम हाथ दिखाकर ‘बाय’ करता था, लेकिन अब अपने पापा को ‘टाटा बाय-बाय’ कहता है।
बच्चूलाल कहते हैं कि मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के कारण ही उनका बच्चा बोल और सुन पा रहा है। अगर योजना न होती तो हम शिवम की मीठी बोली से और शिवम जीवन के संगीत से वंचित रह जाता।