हैंडपंपों के नाम पर करोड़ों रुपये ठिकाने लगा दिए गए हैं, मगर सैकड़ों गांवों में पीने के पानी के लिए लोग तरस रहे हैं। अकेले मुस्करा ब्लॉक के बिम्वार कस्बे में एक दर्जन से ज्यादा हैंडपंप खराब हैं।
जल निगम ने हमीरपुर जिले के सातों ब्लॉकों के सैकड़ों गांवों में अब तक कम से कम साढ़े 19 हजार हैंडपंप लगाए हैं, मगर सालभर में ही बड़ी संख्या में हैंडपंपों ने पानी देना बंद कर दिया है। इसकी वजह बताई जा रही है कि मानक के अनुरूप न तो रीबोर किया गया और न ही अधिक गहराई में पाइप डाले गए।
कागजों में निर्धारित मात्रा में पाइप दिखाकर जिस तरह से हैंडपंप लगाने में मनमानी की गई है, उसका खामियाजा हर साल गर्मियों में गांव की जनता भुगतती है।
बताया जाता है कि सबसे ज्यादा राठ, मुस्करा, मौदहा व कुरारा ब्लॉक क्षेत्र में हैंडपंप धड़ाम है, वहीं सुमेरपुर व गोहांड में हैंडपंप काफी तादाद में रीबोर के मुहाने आ चुके हैं।
अनुमान के मुताबिक, हमीरपुर जिले में 10,000 के करीब हैंडपंप किसी न किसी कमी के कारण पानी नहीं दे रहे हैं। बिम्वार कस्बे की स्थिति भी कमोवेश वही है। यहां 16 हैंडपंप पानी देने से जवाब दे गए हैं।
ग्रामीण इलाकों से मिली जानकारी के मुताबिक, सुमेरपुर कस्बे में 35 से ज्यादा हैंडपंप शोपीस बने हुए हैं, जबकि टेढ़ा में 10, पचखुरा में 15, कुरारा में 18, पारा में 8, मौदहा में 40, गोहांड में 23, सरीला में 22 व हमीरपुर नगर में ही 30 से ज्यादा हैंडपंप पानी नहीं दे रहे हैं। सैकड़ों हैंडपंप भीषण गर्मी में सूख गए हैं, जबकि पांच हजार के आसपास हैंडपंप रीबोर के मुहाने तक आ चुके हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जलस्तर नीचे गिरने के साथ ही आसमान से बरस रही ‘आग’ से कुएं और पोखरों का पानी पूरी तरह से सूख चुका है। आम लोगों के सामने अन्न से ज्यादा पानी के लाले पड़े हैं।
सबसे ज्यादा मवेशियों में पानी के लिए छटपटाहट देखी जा रही है। पानी के अभाव में कई गांवों में तमाम पशु भी मारे गए।
सूखे से निपटने के लिए सरकार और प्रशासन तमाम उपाय करे, मगर जल निगम के अभियंता इस विषम परिस्थितियों में भी लापरवाह बना हुए हैं।
पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है, मगर अभियंता खराब हैंडपंपों को सही कराने की मुहिम को गति नहीं दे पा रहे हैं। वैसे देखा जाए तो जल निगम के पास अभी यह आंकड़ा भी नहीं है कि जिले में कितने हैंडपंप यांत्रिक दोष से खराब हैं और कितने रीबोर होने की स्थिति में हैं।