बांदा, 14 दिसम्बर – देश के अलावा विदेशों में भी अपनी हनक कायम करने वाला बुंदेलखंड का ताकतवर महिला जन संगठन आपसी जंग में खंड खंड हो गया है। वर्चस्व की लड़ाई इस कदर बढ़ी कि ‘गुलाबी गैंग’ तीन धड़ों में बंट गया और महिला हिंसा से बेखबर यह संगठन खुद अपने अस्तित्व की जंग लड़ रहा है।
करीब सात साल पहले वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की धरती बुंदेलखंड में महिलाओं ने संपत पाल की अगुआई में ‘गुलाबी गैंग’ नाम से एक गैर पंजीकृत जन संगठन की नींव डाली थी। इस संगठन ने सरहद पार भी अपनी हनक कायम की। संगठन के जरिए संपत को कई पड़ोसी देशों की यात्रा का मौका मिला। समय गुजरा तो संगठन के उद्देश्य बदल गए।
संगठन में संयोजक रहे जयप्रकाश शिवहरे ने कमांडर संपत पर गलत कार्य करने का आरोप लगाकर इसी साल मार्च माह में उन्हें संगठन से निष्कासित करा दिया। इसके बाद गुलाबी गैंग तीन धड़ों में बंट गया। संपत अभी भी खुद को गुलाबी गैंग की कमांडर बता रही हैं। जयप्रकाश ‘गुलाबी गैंग’ (लोकतांत्रिक) के बैनर तले काम कर रहे हैं तो गैंग के संस्थापक सदस्य रहे सत्बोध साईं दाता जी ने ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ के नाम से पंजीयन करा कर कानपुर की आशा निगम को शीर्ष कमांडर घोषित कर दिया। इस समय तीनों धड़े महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा से बेखबर आपस में ही जूझ रहे हैं।
गुलाबी गैंग की आमसभा द्वारा कथित तौर पर हटाए जाने के बाद भी संपत खुद को कमांडर बता रही हैं, हालांकि अब उनकी वह हनक नहीं रही जो कभी हुआ करती थी।
संपत पाल कहती हैं कि वह “गुलाबी गैंग की संस्थापक कमांडर हैं। यह गैर पंजीकृत संगठन है, जिससे उन्हें कोई नहीं बर्खास्त कर सकता।”
गुलाबी गैंग-लोकतांत्रिक के संयोजक जयप्रकाश शिवहरे का कहना है, “महिला हिंसा को रोकने की गरज से संपत की अगुआई में गुलाबी गैंग का गठन हुआ था। संपत के गलत कारनामों की वजह से उन्हें पद से हटा दिया गया है।”
उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व वाला संगठन जन कल्याण के लिए काम कर रहा है तथा महिला हिंसा रोकने का भरसक प्रयास कर रहा है।
तीसरे पंजीकृत धड़े ‘गुलाबी गैंग महिला फाउंडेशन’ के प्रबंध निदेशक सत्बोध साईं दाता जी का कहना है, “जयप्रकाश और संपत के बीच उपजी वर्चस्व की लड़ाई में गुलाबी गैंग बेमतलब हो गया था, इसलिए आशा निगम को कमांडर घोषित कर महिलाओं की लड़ाई लड़ी जा रही है।”
इस टीम की कमांडर आशा निगम का कहना है कि उनकी लड़ाई किसी संगठन के खिलाफ नहीं, बल्कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा करने वालों के विरूद्ध है।
कुल मिलकर यह कहना गलत न होगा कि वर्चस्व की जंग में तीन हिस्सों में बंटा गुलाबी गैंग बुंदेलखंड ही नहीं, बल्कि देश के हर कोने में अस्तित्वहीन हो गया है।