बांदा, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के कारागार में पेयजल की सभी सरकारी सुविधाएं होने के बाद भी कैदी भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
बांदा, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के हिस्से वाले बुंदेलखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला मुख्यालय के कारागार में पेयजल की सभी सरकारी सुविधाएं होने के बाद भी कैदी भीषण पेयजल संकट से जूझ रहे हैं।
यहां निरुद्ध दस्यु ददुआ और ठोकिया जैसे गैंगों के खतरनाक कैदियों को बाहर से पानी लाने की खुली छूट दी गई है।
उत्तर प्रदेश के हिस्से वाला बुंदेलखंड गर्मी का आगाज होते ही पेयजल संकट से जूझने लगता है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है, जब कारागार में भी कैदी बूंद-बूंद पानी को तरसे हों। 576 कैदियों की क्षमता वाली बांदा जेल में इस समय 1350 कैदी निरुद्ध हैं, इनमें दर्जनों डकैत दस्यु ददुआ और ठोकिया गैंग के भी हैं।
कई बार ऐसा भी हुआ है, जब अदालतों में पेशी के दौरान खूंखार डकैत पुलिस को चकमा देकर भाग चुके हैं। इस जेल में पेयजल संकट से निपटने के लिए दो सरकारी नलकूप, एक कुंआ और दो हैंडपंप हैं, लेकिन बारिश की कमी की वजह से जल स्तर 50 फीट नीचे गिर जाने से यह सभी जवाब दे चुके हैं। लिहाजा, कारागार प्रशासन ने खतरनाक कैदियों को जेल गेट के बाहर लगे मात्र एक हैंडपंप से पानी लाने की खुली छूट दे दी है।
कारागार अधीक्षक हरिबक्श सिंह ने बताया कि पेयजल संकट से जूझ रहे कैदियों को पानी उपलब्ध कराने के लिए आईजी कारागार, जिलाधिकारी बांदा व जल संस्थान के अधिकारियों को सूचित कर टैंकर से जलापूर्ति कराने की मांग की गई थी, लेकिन संभव नहीं हो सका। लिहाजा, कैदियों को दस-दस के समूह में जेल से बाहर निकाल कर पानी लाने की छूट दी गई है।
वह बताते हैं कि कोई कैदी भाग न जाए, इसके लिए चार सशस्त्र पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं।
जिलाधिकारी बांदा योगेश कुमार का कहना है कि जल्द ही कैदियों को जेल के अंदर ही पेयजल की व्यवस्था की जा रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जहां पेयजल की सभी सुविधाएं उपलब्ध हों, वहां यह दशा है तो ग्रामीण क्षेत्र की हालत खुद समझी जा सकती है।