नई दिल्ली, 12 मार्च (आईएएनएस)। दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को 16 दिसंबर, 2012 की रात मेडिकल की एक छात्रा के साथ चलती बस में हुए सामूहिक दुष्कर्म पर आधारित बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र ‘इंडियाज डॉटर’ पर लगी रोक तत्काल हटाने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति बी.डी.अहमद और न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की खंडपीठ ने बीबीसी के विवादित वृत्तचित्र के प्रसारण पर लगी रोक हटाने से संबंधित दो जनहित याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष 18 मार्च को सुनवाई के लिए पेश करते हुए यह आदेश दिया।
याचिकाओं में न्यायालय से इस वृत्तचित्र के प्रसारण पर लगी रोक हटाने का आदेश देने का अनुरोध किया गया था।
पीठ ने इस पर किसी भी तरह का अंतरिम आदेश देने से इंकार करते हुए कहा कि इस मामले को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली ‘रोस्टर बेंच’ के समक्ष आने दें।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि इसे वृत्तचित्र के प्रसारण से कोई समस्या नहीं है, लेकिन मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है।
पीठ ने कहा, “प्रथम द्रष्टया हम वृत्तचित्र के प्रसारण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, पहले सर्वोच्च न्यायालय में फैसला होने दें।”
पीठ ने कहा, “हमें बताएं कि किस तरह यह वृत्तचित्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं करेगा। हम मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ नहीं हैं। मामले को उनके समक्ष आने दें, हम कोई अंतरिम आदेश नहीं दे रहे हैं।”
यह वृत्तचित्र 23 वर्षीय छात्रा के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर आधारित हैं। इस वृत्तचित्र का विरोध उस वक्त होने लगा, जब घटना के एक दोषी और फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद मुकेश सिंह का साक्षात्कार इसमें लिए जाने की बात सामने आई।
वृत्तचित्र में दोषियों के वकील ए.पी.सिंह और एम.एल.शर्मा के भी बयान हैं, जिन्होंने महिलाओं के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। देश में कुछ वर्गो में इस वृत्तचित्र को लेकर रोष था और सरकार ने बाद में सभी माध्यमों में इसके प्रसारण पर रोक लगा दी।
सुनवाई के दौरान सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वृत्तचित्र हर वर्ग के दर्शकों के देखने लायक नहीं है।
सरकार के वकील ने कहा कि वृत्तचित्र में पीड़िता और महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है।
वहीं, याचिका में कहा गया है कि वृत्तचित्र पर रोक अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है। याचिका में वृत्तचित्र पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और दिल्ली पुलिस आयुक्त द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को गैरकानूनी करार देने का अनुरोध न्यायालय से किया गया है।