नई दिल्ली । भाजपा में हर फैसले के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का कद बढ़ता जा रहा है। भाजपा के संसदीय बोर्ड में वापसी के साथ जहां उनकी केंद्रीय भूमिका का रास्ता खुल गया है। वहीं, पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सियासी हुनर भी दिखाए हैं। नई टीम में उन्होंने सामाजिक, क्षेत्रीय और जातिगत संतुलन साधने का कोई मौका नहीं छोड़ा। बदलते भारत की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए जहां राजनाथ ने युवा टीम तैयार की है। वहीं, साठ फीसद से ज्यादा बदलाव कर नए चेहरे पेश करने की कोशिश की है।
केंद्रीय राजनीति में मोदी ने धमक के साथ पदार्पण कर दिया है। छह साल पहले पार्टी की जिस सर्वोच्च निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से उन्हें हटाया गया था, उसमें अपनी शर्तो के साथ वापस आ गए हैं। अब वह उस जगह खड़े हो गए हैं जहां खुद मुख्यमत्री रहते हुए दूसरे मुख्यमंत्रियों और लोकसभा समेत विधानसभा चुनावों के लिए दावेदारों का भविष्य भी तय करेंगे। टीम में भी उनका प्रभाव दिखा है। लगभग एक दर्जन पदाधिकारी ऐसे हैं जो मौका मिलते ही मोदी की सार्वजनिक प्रशंसा से नहीं चूकते हैं।
तमाम विरोधों और आशंकाओं के बावजूद मोदी के नजदीकी अमित शाह महासचिव बने हैं, तो उपाध्यक्षों की सूची में सीपी ठाकुर, स्मृति ईरानी व बलवीर पुंज, सचिवों में रामेश्वर चौरसिया, प्रवक्ताओं में मीनाक्षी लेखी व निर्मला सीतारमण, तो किसान मोर्चा में ओम प्रकाश धनकड़ जैसे नेताओं को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि निर्मला विधानसभा चुनाव के वक्त लंबे समय तक गुजरात में रही थीं, तो धनकड़ ने भी चुनाव से पहले गुजरात में समय बिताया था। मोदी सरकार में मंत्री आनंदी बेन पटेल और नितिन भाई पटेल को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है।
दरअसल टीम के गठन में राजनाथ को भारी दबावों से जूझना पड़ा है। वरिष्ठ नेताओं की पसंद शामिल करने का दबाव इतना ज्यादा था कुछ मामलों में प्रदर्शन की शर्त गौण हो गई, लेकिन युवा टीम बनाने में वह सफल रहे। लगभग सत्तर फीसद पदाधिकारियों की उम्र 50 के आसपास है। जातिगत समीकरण साधने में राजनाथ सफल रहे।
2014 लोकसभा चुनाव की चुनौती के लिए राजनाथ ने महासचिवों की सूची में सिर्फ चार बदलाव किए। उत्तर प्रदेश में गांधी बनाम गांधी की लड़ाई को धार देते वरुण गांधी को महासचिव बनाया। बिहार से राजीव प्रताप रूड़ी को वह जगह देने में सफल रहे। महासचिव पद को लेकर बंधे राजनाथ के हाथ उपाध्यक्ष पद को लेकर खुले। संतुलन बनाने की कोशिश में उन्होंने पिछले 12 उपाध्यक्षों में 10 की छुंट्टी कर दी, तो 11 नए उपाध्यक्ष नियुक्त किए। भाजपा में वापस हुई उमा भारती को राजनाथ ने उपाध्यक्ष नियुक्त कर टीम में शामिल कर लिया है।
प्रवक्ताओं की नियुक्ति में कुछ आजादी दिखी। पिछले आठ प्रवक्ताओं में पांच को हटाकर चार नए प्रवक्ता बनाए गए। राजनाथ के राजनीतिक सलाहकार सुधांशु त्रिवेदी अब प्रवक्ता की भी जिम्मेदारी संभालेंगे। प्रकाश जावड़ेकर, शाहनवाज हुसैन और निर्मला सीतारमण पर राजनाथ ने फिर भरोसा जताया है।
पांच राज्यों में आगामी विधानसभा चुनावों को भी ध्यान में रखा गया है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा, दिल्ली के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्द्धन, छत्तीसगढ़ से सरोज पांडे, राजस्थान से किरण माहेश्वरी और मध्य प्रदेश से प्रभात झा और उमा भारती को टीम में जगह मिली है। बहरहाल, सबको संतुष्ट करने की कोशिश में शायद राजनाथ खुद को पूरी तरह संतुष्ट न कर पाएं हों, लेकिन यह तय है कि अगले दस दिन में राज्यों के प्रभारी भी तय हो जाएंगे और दूसरे प्रकोष्ठों का गठन भी हो जाएगा।
टीम राजनाथ
महासचिव: अनंत कुमार, थावरचंद गहलोत, जेपी नड्डा, तापिर गांव, धर्मेद्र प्रधान, अमित शाह, वरुण गांधी, राजीव प्रताप रूड़ी, मुरलीधर राव, रामलाल
उपाध्यक्ष: सदानंद गौडा, मुख्तार अब्बास नकवी, सीपी ठाकुर, जुएल ओरांव, एसएस अहलूवालिया, बलबीर पुंज, सतपाल मलिक, प्रभात झा, उमा भारती, बिजॉय चक्रवर्ती, लक्ष्मीकांता चावला, किरण माहेश्वरी, स्मृति ईरानी
प्रवक्ता:
प्रकाश जावड़ेकर, शाहनवाज हुसैन, निर्मला सीतारमण, सुधांशु त्रिवेदी, विजय सोनकर शास्त्री, मीनाक्षी लेखी, कैप्टन अभिमन्यु
महिला मोर्चा : सरोज पांडे [अध्यक्ष]
युवा मोर्चा : अनुराग ठाकुर [अध्यक्ष]
उत्तर प्रदेश और बिहार पर रही राजनाथ की नजर
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। टीम गठन में भारी दबावों के बावजूद भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने लोकसभा चुनाव के लिहाज से अहम उत्तर प्रदेश व बिहार पर खास ध्यान रखा। उपाध्यक्ष का जिम्मा उमा भारती को तो महासचिव का वरुण गांधी को सौंपा। वहीं अपने राजनीतिक सलाहकार और संघ के करीबी डॉ. सुधांशु त्रिवेदी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाकर उत्तर प्रदेश के मौजूदा समीकरणों को साधा। बिहार के अलग-अलग समुदाय से पांच पदाधिकारियों को शामिल कर भविष्य का राजनीतिक दांव अभी से बिछा दिया है।
रविवार को घोषित टीम में सबसे ज्यादा चर्चित वरुण गांधी का नाम रहा। बताते हैं कि कुछ नेताओं को वरुण के नाम पर संशय था, लेकिन राजनाथ ने उन्हें महासचिव का महत्वपूर्ण पद दिया है। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अहम भूमिका निभा चुकीं उमा भारती को उपाध्यक्ष बनाया गया है। मुख्तार अब्बास नकवी उपाध्यक्ष बरकरार हैं तो विनय कटियार को केंद्रीय चुनाव समिति में जगह दी गई है। उत्तर प्रदेश के खाते में एक साथ दो राष्ट्रीय प्रवक्ताओं के पद गए हैं।
राजनाथ सिंह के राजनीतिक सलाहकार और भाजपा-संघ के थिंकटैंक में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ. सुधांशु त्रिवेदी के साथ-साथ विजय सोनकर शास्त्री को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है। ऐसे में बड़ी सफाई से राजनाथ ने अलग-अलग समुदाय को शामिल कर प्रदेश की गर्म हो रही राजनीति के लिए गोटी बिछा दी है।
दूसरी ओर बिहार में जदयू के साथ बनते-बिगड़ते रिश्तों के बीच मोदी समर्थक सीपी ठाकुर और रामेश्वर चौरसिया टीम में आए हैं तो राजीव प्रताप रूडी के रूप में महासचिव और शाहनवाज हुसैन के रूप में अल्पसंख्यक नेता को प्रवक्ता बनाया है। शाहनवाज को अहम केंद्रीय चुनाव समिति में भी जगह दी गई है। इतना ही नहीं, बिहार में मंत्री रेणु कुशवाहा को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है। तो लोकसभा सांसद राधामोहन सिंह को राजनाथ ने अनुशासन समिति का अध्यक्ष बनाया है। पूरी कवायद को राजनाथ की सियासी बाजीगरी के रूप में देखा जा रहा है।
आडवाणी पर भारी पड़ी मोदी-राजनाथ की जोड़ी
राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी लालकृष्ण आडवाणी पर भारी पड़ी है। गुजरात से लौटने के बाद देर रात तक आडवाणी से संगठन महासचिव की गुफ्तगू जरूर होती रही, लेकिन अपनी पसंद और नापसंद के चेहरों को राजनाथ की टीम में शामिल कराने या हटवाने में उनकी नहीं चल सकी। रविवार सुबह जब भाजपा अध्यक्ष अपनी टीम की सूची लेकर उनके पास पहुंचे, तो आडवाणी के पास उस पर मुहर चस्पा करने के सिवा कोई चारा नहीं बचा था।
आडवाणी की पूरी चाहत थी कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ मध्य प्रदेश के मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान को भी संसदीय बोर्ड में स्थान मिले, लेकिन भाजपा अध्यक्ष समेत दूसरे नेताओं का मन बन चुका था कि मोदी अकेले ही संसदीय बोर्ड में आएंगे। जब महासचिव पद के लिए उमा भारती और प्रभात झा के बीच चुनाव का वक्त आया तो आडवाणी ने उमा को तरजीह दी। वह चाहते थे कि उमा को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए, लेकिन पार्टी अध्यक्ष ने अपना राजनीतिक कौशल दिखाकर उनकी चाहतों को चाहत तक सीमित कर दिया। लगातार गुजरात के गांधीनगर से लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे आडवाणी को मोदी के नजदीकी अमित शाह को महासचिव बनाने पर भी एतराज था। उन्होंने अपना एतराज उस वक्त भी दर्ज कराया था जब पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की दोबारा ताजपोशी की तैयारी हो गई थी। आडवाणी की चलती तो धर्मेद्र प्रधान का पत्ता साफ हो जाता।
पिछले महीने दिल्ली में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यपरिषद की बैठक में दूसरी बार पार्टी की कमान संभालने वाले राजनाथ ने मोदी की प्रशंसा में कसीदे कढ़े थे। इससे पहले जब मोदी गुजरात में तीसरी बार धमाकेदार जीत के बाद दिल्ली आए तो राजनाथ के आवास पर हुई मुलाकात में इसकी नींव पड़ गई थी। मोदी ने राजनाथ की दोबारा ताजपोशी का खुले दिल से स्वागत किया था। लंबी बैठक में लोकसभा चुनाव से लेकर दूसरे सभी मुद्दों पर दोनों ने मंत्रणा की थी। दोनों नेताओं की जुगलबंदी अब 6 अप्रैल को गुजरात में भी दिखेगी। मोदी और राजनाथ भाजपा के स्थापना दिवस पर अहमदाबाद में एक मंच से गरजेंगे। रविवार को टीम घोषित करने के बाद राजनाथ सिंह पहली अप्रैल को नागपुर जाएंगे, फिर राजस्थान और उसके बाद गुजरात जाएंगे।
भाजपा की नई टीम से यशंवत-जसवंत की छुंट्टी
राजनाथ सिंह की अगुआई वाली भाजपा की नई टीम से पार्टी सांसद यशवंत सिन्हा और जसवंत सिंह की छुंट्टी हो गई है। यशवंत गाह-बगाहे पार्टी नेतृत्व को चुनौती देते रहे हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों पर पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी को खुली चुनौती देने वाले यशवंत ने अर्जुन मुंडा के करीबी रवींद्र राय को झारखंड अध्यक्ष बनाने पर आडवाणी से शिकायत की थी।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे यशवंत और जसवंत संसदीय बोर्ड, केंद्रीय चुनाव समिति या केंद्रीय अनुशासन समिति में किसी में भी जगह नहीं पा सके। हालांकि, दोनों को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह दी गई है। कार्यकारिणी में 123 स्थायी और विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हैं।
भाजपा की नई टीम से नजमा हेपतुल्ला, हेमा मालिनी और शांता कुमार भी बाहर हो गए है। पार्टी में उपाध्यक्ष रहे शांता कुमार की कोर टीम से रवानगी को हिमाचल भाजपा में लंबे समय से चल रही गुटबाजी और विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार से जोड़कर देखा जा रहा है। रवि शंकर प्रसाद महासचिव और मुख्य प्रवक्ता पद पर नहीं रहेंगे, वह राज्यसभा में भाजपा के उप नेता की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे।
उत्तराखंड से भगत सिंह कोश्यारी और रमेश पोखरियाल निशंक भी पार्टी उपाध्यक्ष नहीं रहे। गुजरात से सांसद और मोदी के विश्वासपात्र पुरुषोत्तम रुपाला की भी छुंट्टी हो गई है, लेकिन ये सभी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह पाने में सफल रहे। पंजाब से सांसद नवजोत सिंह सिद्धू भी पार्टी सचिव नहीं रहे। शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना की तरह सिद्धू भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हैं।
टीम राजनाथ में गडकरी का राज्य नजरअंदाज
भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह की नई टीम में न सिर्फ पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी के समर्थक गायब दिख रहे हैं, बल्कि महाराष्ट्र को भी नजरअंदाज किया गया है। अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। यह लोकसभा के लिए 48 सीटें देने वाला राज्य है। यह निवर्तमान अध्यक्ष का राज्य भी है। इसके बावजूद राजनाथ ने महाराष्ट्र से न तो एक भी उपाध्यक्ष अपने साथ लिया है, न ही महासचिव।
महाराष्ट्र से तीन सचिव पहले भी थे, अब भी तीन ही हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि गडकरी और मुंडे गुटों से अलग पहचान बनाने में लगे किरीट सोमैया को हटाकर प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को सचिव बना दिया गया है। इसे गडकरी पर मुंडे की जीत माना जा सकता है, लेकिन किरीट सोमैया का हटाया जाना गडकरी की जिद का परिणाम भी माना जा रहा है। किरीट सोमैयाशरद पवार परिवार से गडकरी के अच्छे रिश्ते होने के बावजूद विभिन्न घोटालों में पवार की पोल खोलने से बाज नहीं आ रहे थे। राजनीतिक दृष्टि से अहम महाराष्ट्र से भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में लंबे समय से कोई महासचिव नहीं लिया गया है। इस पद पर लंबे समय तक रहे भाजपा नेता प्रमोद महाजन की हत्या के बाद कुछ समय के लिए उनके बहनोई गोपीनाथ मुंडे महासचिव बनाए गए थे। हालांकि, लोकसभा में उपनेता का पद मिलने के बाद उन्हें महासचिव पद छोड़ना पड़ा था।
भाजपा के केंद्रीय संगठन में महाराष्ट्र का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नजर नहीं आने का एक कारण यह भी है कि यहां का कोई नेता राज्य छोड़कर दिल्ली की राजनीति में नहीं जाना चाहता। अगर कोई जाना भी चाहता है, तो दिग्गज नेता उसका कद ऊंचा नहीं होने देना चाहते। संभवत: यही कारण है कि प्रकाश जावड़ेकर लंबे समय से राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं, लेकिन उनकी पदोन्नति नहीं हो पा रही है।