बीजिंग,12 अगस्त (आईएएनएस/सिन्हुआ)। रात आधी बीत चुकी थी। बेसमेंट में कुछ अधिक ही काली लग रही थी। दिन भर के थके मांदे लोग सो रहे थे। अचानक उन्हें लातों की ठोकर लगने का अहसास हुआ। आंख खुली तो पाया कि काले कपड़ों में कुछ लोग तोड़फोड़ मचाए हुए हैं।
यह दृश्य बीजिंग के पश्चिमी वांगजिंग इलाके का है। यहां काले कपड़े वालों का शिकार होने वाले लोग बकायदा किराया देकर रहते हैं। उनके दरवाजों को पीटा गया, रासायनिक पदार्थ तक फेंका गया। काले कपड़े वालों ने इन लोगों को यह जगह छोड़ने का अल्टीमेटम दिया।
काले कपड़े वाले कोई गुंडे नहीं थे। ये सभी सरकारी अफसरों की तरफ से भेजे गए सुरक्षा कर्मी थे। इन्हें इन किरायेदारों को बेसमेंट से हटाने की जिम्मेदारी दी गई थी। बीजिंग में बेसमेंट में रहने वालों के खिलाफ अभियान छिड़ा हुआ है।
किरायेदारों ने बीजिंग न्यूज को बताया, “उन लोगों ने हमारे सामूहिक शौचालय में पत्थर फेंके। काक्रोच को मारने वाली दवा जलाई जिससे बुजुर्गो की सांस रुकने लगी। उन्होंने हमें चूहा तक कहा।”
बेसमेंट में रहकर जिंदगी गुजारने वाले 40 लोगों ने सोमवार को स्ट्रीट आफिस पहुंचकर उन्हें बेसमेंट छोड़ने के लिए और समय देने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि वे यहां लंबे समय से रह रहे हैं। कहीं और जाने के लिए कुछ समय चाहिए। उनमें से एक ने कहा, “कृपया हमारे साथ हिंसा मत कीजिए। बीजिंग में किराए पर रहने के लिए जगह खोजना आसान नहीं है।”
अधिकारियों के निशाने पर आए ये लोग कम आय वर्ग से संबंध रखते हैं। चीन के अलग-अलग इलाकों से आए प्रवासी हैं। बीजिंग में आसमान छूते किराये को देना इनके लिए असंभव है। जिंदगी बिताने के लिए ये भूमिगत सुरंगों, बेसमेंट में रहते हैं। जमीन के नीचे मजबूरी में और नारकीय स्थितियों में रहने वाले इन लोगों को इंटरनेट पर ‘चूहा प्रजाति के लोग’ भी कहा जाने लगा है।
माना जा रहा है कि दस लाख लोग इस तरह बेसमेंट और भूमिगत सुरंगों में अपने दिन काट रहे हैं। यह भी इन्हें किराये पर नसीब होता है। इनका कहना है कि कम किराये पर कम से कम सिर छिपाने के लिए जगह तो मिल जाती है।
इन जगहों को अवैध रूप से किराये पर उठाने वालों की एक जमात बीजिंग में सक्रिय है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि ये लोग और इनकी गतिनिधियां शांति और सुरक्षा के लिए खतरा बनती जा रही हैं। इसीलिए इनसे जबरन हथियाए गए बेसमेंट और सुरंगों के इलाकों को खाली कराया जा रहा है।