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 बिहार : वर्षभर चला शह-मात का खेल | dharmpath.com

Sunday , 24 November 2024

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बिहार : वर्षभर चला शह-मात का खेल

imagesपटना, 21 दिसंबर- बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होने के बाद इस वर्ष दोनों दल सही मायने में एक-दूजे के आमने-सामने नजर आए। दोनों दलों के बीच जहां पूरे वर्ष शह-मात का खेल जारी रहा, वहीं नए समीकरण बनते-बिगड़ते भी रहे।

गठबंधन टूट जाने की वजह से वर्षो बाद भाजपा और जद (यू) लोकसभा चुनाव में अलग-अलग चुनाव मैदान में उतरे और 16 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम भाजपा के पक्ष में आए। सत्तारूढ़ जद (यू) को करारी हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि कांग्रेस के घोटालों से खफा मतदाताओं ने केंद्र की सत्ता में परिवर्तन चाहा और मजबूत विकल्प के तौर पर सामने सिर्फ भाजपा थी।

बिहार के 40 संसदीय सीटों में से सत्तारूढ़ जद (यू) को मात्र दो सीटों के साथ संतोष करना पड़ा। जद (यू) के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार ने इस हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे ने सबको चौंकाया। इसके बाद दो दिनों तक बिहार की राजनीति में ‘हाईवोल्टेज ड्रामा’ चलता रहा।

इस दौरान जद (यू) के विधायक जहां नीतीश के इस्तीफे को स्वीकार करने को तैयार नहीं थे, वहीं नीतीश इस्तीफा वापस लेने के मूड में नहीं थे। आखिरकार 19 मई को नीतीश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में महादलित नेता जीतन राम मांझी का नाम आगे कर सभी को हैरत में डाल दिया।

पिछले विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के खिलाफ जबरदस्त जीत हासिल करने वाली सतारूढ़ जद (यू) की सरकार ने मांझी के नेतृत्व में 23 मई को बिहार विधानसभा में राजद और कांग्रेस के ही समर्थन से विश्वासमत हासिल कर लिया।

इस दौरान मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री मांझी पर जहां ‘कठपुतली’ होने का आरोप लगाया, वहीं राजद से समर्थन लेने को लेकर भी प्रश्न खड़े किए गए। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर तीन दलों की एकता भाजपा के सामने एक नई चुनौती के रूप में उभर आई।

इधर, मांझी को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद जद (यू) में ही फूट पड़ गया और कई विधायक बागी हो गए। राज्यसभा उपचुनाव के दौरान जद (यू) के कुछ विधायकों ने क्रॉस वोटिंग भी की। विधानसभा अध्यक्ष द्वारा क्रॉस वोटिंग में शामिल चार विधायकों की सदस्यता भी खत्म कर दी गई।

पिछले 20 वर्षो से एक-दूसरे का विरोध करने वाले राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और जद (यू) के नीतीश कुमार 21 अगस्त को बिहार विधानसभा की 10 सीटों पर हुए उपचुनाव में प्रचार के लिए न केवल मंच साझा किया, बल्कि दोनों दलों ने गठबंधन के तहत चुनाव भी लड़ा।

राजद, जद (यू) और कांग्रेस के महागठबंधन ने इन 10 सीटों में से छह सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव परिणाम से खुश भाजपा को उपचुनाव में महज चार सीटों से संतोष करना पड़ा। इस उपचुनाव ने यह संकेत दे दिया कि विधानसभा के लिए वोट डालते समय मतदाताओं का मूड कुछ और होता है।

भाजपा ने इस दौरान नीतीश पर विचारधारा से पलटने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव के भय से महागठबंधन बनाने का आरोप लगाया। बिहार विधानसभा उपचुनाव में जीत से उत्साहित नीतीश ने इस गठबंधन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा शुरू छेड़ दी और समाजवादी विचारधारा के राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाने का प्रयास शुरू किया। पुराने जनता दल परिवार को भी एक मंच पर लाकर विलय की स्थिति में खड़ा कर दिया।

बहरहाल, वर्ष 2014 को राजनीति में एक-दूसरे के धुर विरोधी माने जाने वाले नीतीश और लालू के एका के लिए याद किया जाएगा।

बिहार : वर्षभर चला शह-मात का खेल Reviewed by on . पटना, 21 दिसंबर- बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होने के बाद इस वर्ष दोनों दल सही मायने में एक-दूजे के आमने- पटना, 21 दिसंबर- बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) पिछले वर्ष भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अलग होने के बाद इस वर्ष दोनों दल सही मायने में एक-दूजे के आमने- Rating:
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