पटना, 11 मार्च (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही सभी राजनीतिक दल लोकतंत्र के महासमर में उतरने को तैयार हैं। महासमर के महारथियों के नामों की अब तक घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन बिहार में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन के बीच होना तय माना जा रहा है।
पटना, 11 मार्च (आईएएनएस)। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजते ही सभी राजनीतिक दल लोकतंत्र के महासमर में उतरने को तैयार हैं। महासमर के महारथियों के नामों की अब तक घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन बिहार में मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन के बीच होना तय माना जा रहा है।
पिछले चुनाव की तुलना में इस चुनाव में पुराने दोस्त बदले नजर आएंगे। दोनों गठबंधनों में नए दलों के शामिल होने से न केवल उनके नारे बदले नजर आएंगे, बल्कि मुद्दे में भी बदले होंगे।
राजग जहां इस चुनाव में विकास, सुशासन और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मुख्य मुद्दा बनाएगा, वहीं महागठबंधन में शामिल दल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते नजर आएगा।
राजग के नेता भी मानते हैं कि उनके पास मुद्दों की कमी नहीं है। राजग में शामिल जद (यू) के प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है। उन्होंने कहा कि राजग के पास बिहार का विकास और सुशासन ही मुख्य मुद्दा है। बिहार की जनता राजद का शासनकाल भी देख चुकी है। ऐसे में मतदाताओं को निर्णय लेने में कोई परेशानी नहीं है।
भाजपा के संजय टाइगर भी कहते हैं कि बिहार की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णय लेने की क्षमता की कायल है। उन्होंने कहा कि आज भारत की पहचान पूरे विश्व में मजबूत देश के रूप में होने लगी है। टाइगर ने बिहार की सभी 40 सीटों पर राजग की जीत का दावा करते हुए कहा कि बिहार की जनता मोदी के साथ है।
राजनीतिक विश्लेषक सुरेंद्र किशोर का मानना है कि राजग के पास मतदाताओं को दिखाने के लिए केंद्र और बिहार के विकास और सुशासन की तस्वीर होगी। राजग मतदाताओं के बीच आतंकवाद के खिलाफ लड़ने वाली स्पष्ट नीति और निर्णय लेने वाले नेतृत्वकर्ता के साथ जाएगा।”
उन्होंने कहा कि राजग पड़ोसी देश पर किए गए एयर स्ट्राइक के जरिए पाकिस्तान को विश्व से अलग-थलग करने की घटना को भी मतदाताओं के बीच ले जाकर स्पष्ट नीति और निर्णय करने वाली सरकार की छवि पेश कर इसे मुद्दा बनाएगा।
किशोर कहते हैं कि महागठबंधन एक बार फिर इस चुनाव को अगड़े और पिछड़ी जाति को मुद्दा बनाएगी। उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद इसे लेकर मतदाताओं के बीच गए थे। उनका कहना है कि राजद आर्थिक रूप से पिछडे सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के विरोध के जरिए भी जातीय गोलबंदी करने के प्रयास में रहेगा।
राजद के नेता मृत्युंजय तिवारी पिछले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में आए नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए वादों को याद दिलाते हुए कहा कि महागठबंधन के पास मुद्दे की कोई कमी नहीं है। बिहार के लोगों को आज भी प्रधानमंत्री मोदी के किए गए पिछले वादे याद हैं। उन्होंने कहा कि सेना पर की जा रही राजनीति से भी यहां की जनता वाकिफ है।
इस चुनाव में हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव से बिहार की राजनीतिक फिजा बदली हुई है। पिछले यानी 2014 में लोकसभा चुनाव में जद (यू) अकेले चुनाव मैदान में उतरी थी और उसे महज दो सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। जद (यू) इस बार राजग के साथ खड़ी है। जद (यू) को भाजपा के बराबर 17 सीटें मिली हैं। राजग के साथ इस बार भी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी साथ है, लेकिन राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) राजग से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हो चुकी है।
महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के साथ उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल, मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी है।
बहरहाल, महागठबंधन में अभी सीट बंटवारा तय नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि सीट बंटवारे और दोनों गठबंधनों के उम्मीदवारों की घोषणा के बाद चुनावी समर में उतरने के पूर्व कई ‘योद्धा’ पाला भी बदल सकते हैं। हालांकि दोनों गठबंधनों ने चुनावी मुद्दा तय कर लिए हैं और उसी के भरोसे दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने की लड़ाई लड़ेंगे।