पटना, 31 जुलाई (आईएएनएस)। कई नदियों में उफान और कई जगहों पर बांध के पार पानी जाने के साथ ही बिहार में रविवार को बाढ़ की स्थिति और बदतर हो गई। राज्य में बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं।
अधिकारियों के अनुसार, राज्य के 12 जिलों में 26 लााख से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। इनमें पांच लाख लोग विस्थापित हुए हैं।
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने रविवार को बाढ़ प्रभावित सुपौल जिले का दौरा किया और कहा, “हम बाढ़ प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने और बचाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि राहत और बचाव कार्य जोर शोर से चल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नदियों के जलस्तर बढ़ने से कुछ जिलों में बाढ़ की स्थिति गंभीर है।
सरकार ने बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल के 587 जवान तैनात किए हैं।
राज्य के जल संसाधन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि बाढ़ से 2034 गांव प्रभावित हुए हैं।
बाढ़ से विस्थापित पांच लाख लोगों में करीब ढ़ाई लाख लोग विभिन्न आश्रय स्थलों पर रह रहे हैं।
एक अधिकारी ने कहा, “हजारों लोग उंची जगहों पर, राष्ट्रीय राजमार्गो पर और स्कूलों व अन्य भवनों में शरण लिए हुए हैं। “
सरकार ने 412 राहत शिविर लगाए हैं और राहत एवं बचाव कार्यो के लिए 1019 नावें तैनात की गई हैं।
पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, दरभंगा, मधेपुरा, कटिहार, सुपौल और सहरसा जिले बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
अपुष्ट खबरों के मुताबिक, बाढ़ से महिलाएं और बच्चे समेत कम से कम 28 लोगों की मौत हो चुकी है।
निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को प्राधिकारियों ने उंची जगहों पर जाने को कहा है।
अधिकारियों ने कहा कि भारी वर्षा के कारण कोसी, गंगा, बागमती, गंडक समेत राज्य की प्रमुख नदियां उफान पर हैं।
एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “पड़ोसी देश नेपाल के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के कारण इन नदियों के जलस्तर विगत सात दिनों से बढ़ रहे हैं।”
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों को बाढ़ से घरों, फसलों और अन्य संपत्तियों को हुए नुकसान के आकलन करने के आदेश दिए हैं।
जल जनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से दवाओं की व्यवस्था करने को कहा है।
अधिकारियों के अनुसार करोड़ों रुपये मूल्य की फसलें नष्ट हो गई हैं और कई जगहों पर सड़क संपर्क टूट गए हैं।
राज्य के जल संसाधन मंत्री ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि कोसी नदी का पूर्वी तटबंध सुरक्षित है जो साल 2008 में टूट गया था।
साल 2008 में इस तटबंध के टूटने से बिहार में 30 लाख से ज्यादा लोग बेधर हो गए थे।