पटना, 22 जनवरी (आईएएनएस)। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने यहां गुरुवार को कहा कि बिहार में अब तक किसी भी सरकार ने अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए ईमानदारी से काम नहीं किया, सिर्फ जुबानी जमाखर्ची पेश की।
पटना में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश कार्यालय में उन्होंने पत्रकारों से कहा, “यहां के मुख्यमंत्रियों ने टोपियां तो पहन लीं, टोपियों को इज्जत नहीं बख्शी। अब अल्पसंख्यकों को रोजी-रोटी की जरूरी है, टोपियां तो वे खुद तैयार करवा लेंगे।”
नजमा ने कहा कि बिहार में अल्पसंख्यकों की स्थिति काफी खराब है। जो बातें सामने आ रही हैं, उससे यही लगता है कि शासन में बैठे लोग यहां के अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए कभी कोई प्रयास नहीं किया।
उन्होंने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए जितना धन देती है, उसका 50 प्रतिशत भी सही तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पाता। बच्चों के छात्रवृत्ति के पैसे खर्च नहीं हो पा रहे हैं।
नजमा ने कहा कि बिहार में वक्फ बोर्ड की संपत्ति बिखरी है, मगर उसका कोई हिसाब नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों के एक हाथ में कुरान तो दूसरे में कम्प्यूटर होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बिहार में विधानसभा चुनाव कुछ ही महीने बाद होना है। सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड ने भाजपा से पीछा छुड़ाकर अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि पेश करने का प्रयास किया है और उसे अल्पसंख्यकों का वोट मिलने का भरोसा है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस जैसी पार्टियां भी अल्पसंख्यकों के वोट के सहारे सत्ता में आती रही हैं। संभावित महागठबंधन की उम्मीदें भी अल्पसंख्यक वोटों पर ही टिकी हुई हैं। आने वाले चुनाव के मद्देनजर भाजपा की नजर भी अल्पसंख्यकों के वोट पर है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।