पार्टी प्रमुख मायावती अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक एक महीने लखनऊ में ही डेरा जमाए रहेंगी। इस दौरान वह उत्तर प्रदेश और बिहार की चुनावी तैयारियों को लेकर बैठक करेंगी।
पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित बैठक में मायावती ने कहा कि बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है और वहां रहने वाले खासकर अधिसंख्य दलितों, अतिपिछड़ों व मुस्लिम वर्ग के लोगों की आबादी काफी ज्यादा गरीब है।
उन्होंने कहा कि बिहार में सर्वसमाज में से खासकर दलितों, अति पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यक वर्ग में से मुस्लिम समाज के लोग अगर एकजुट होकर ‘बीएसपी मूवमेंट’ से जुड़ते हैं तो उनकी राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक स्थिति भी काफी ज्यादा सुधरकर वैसी ही बेहतर हो सकती है जिसकी कल्पना बाबा साहेब अंबेडकर ने की थी और उसके लिए जीवनभर अथक प्रयास करते रहे।
मायावती ने बिहार की ताजा राजनीतिक स्थिति के साथ-साथ बिहार में भाजपा की चुनावी रणनीति व नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल (यू) सरकार के प्रति जनभावना पर विस्तार से विचार-विमर्श किया और चुनावी संभावनाओं के बारे में बातचीत की।
उन्होंने बिहार के पार्टी प्रभारियों व जिम्मेदार पदाधिकारियों से कहा कि बसपा सर्वसमाज की पार्टी है और बिहार विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के चयन में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए। साथ ही, मूवमेंट से जुड़े मिशनरी लोगों को टिकट के वितरण में खास ध्यान रखा जाना चाहिए।
बसपा मुखिया ने कहा कि बिहार में बीएसपी मूवमेंट की जड़े हैं और बसपा के लोग विधायक भी बनते रहे हैं। आगे भी पार्टी को कैडर के आधार पर तैयार करने का प्रयास लगातार जारी रखना है।
उन्होंने कहा कि बसपा राजनीतिक पार्टी के साथ-साथ एक सामाजिक आंदोलन भी है और इसी के मद्देनजर न केवल पार्टी के जनाधार को आगे बढ़ाना है, बल्कि इस आंदोलन को गति देने के लिए बिहार विधानसभा चुनाव पूरी तैयारी व मुस्तैदी के साथ लड़ना है।