पटना, 14 सितम्बर – सुमन कुमारी, गौतम और अनु प्रिया जैसे लोग बेहद खुश हैं, और उन्हें उम्मीद है कि वे सरकारी नौकरी पाने के अपने सपने पूरा कर पाएंगे। उनकी इस खुशी की वजह बिहार द्वारा उन्हें तीसरे लिंग का दर्जा दिया जाना और उन्हें आरक्षण का हकदार बनाना है। ये तीन बिहार के उन सैकड़ों किन्नरों में है, जो मौलिक अधिकारों से वंचित हैं और समाज में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता।
इग्नू से स्नातक सुमन ने आईएएनएस से कहा, “बिहार सरकार द्वारा हमारे जैसे किन्नरों के लिए दिए गए आरक्षण का स्वागत है। यह हमें और मौके देगा और अब हम मुख्यधारा में शामिल हो जाएंगे।”
सुमन ने कहा कि तीसरे लिंग का विकल्प न सिर्फ हमें पहचान देगा बल्कि आगे भविष्य में आत्मविश्वास भी पैदा करेगा।
अनु प्रिया का कहना है कि वह बैंक में काम करने को लेकर उत्सुक हैं।
वाणिज्य विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रहीं अनु प्रिया ने आईएएनएस को बताया, “मैंने बैंक की नौकरी के लिए आवेदन दिया है। सरकार के फैसले ने हमें सरकारी नौकरी में आरक्षण उपलब्ध कराया है और नौकरी हमारे लिए सुअवसर होगी।”
बिहार में तीन दशक से किन्नरों की लड़ाई लड़ रहे ललन गुरु ने कहा कि लोग अभी भी उनके साथ अलग तरीके से पेश आते हैं।
ललन ने कहा, “सरकार का हमें तीसरे लिंग का दर्जा देना ऐतिहासिक कदम है। यह फैसला हमें इज्जत के साथ जीने का और अधिक अवसर देगा। हमने अपने अधिकार और भेदभाव के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है।”
एक अन्य छात्र गौतम ने यहां कहा कि सरकार ने आखिरकर हमारे अस्तित्व को स्वीकारा है।
गौतम ने आईएएनएस को बताया, “यह छोटी बात नहीं है, विकास का फल चखने के पहले कदम के लिए लंबी यात्रा की है।”
एक अन्य किन्नर रेशमा कहती हैं कि तीसरे लिंग को पंचायत और राज्य विधानसभा में भी आरक्षण मिलना चाहिए।
बिहार मंत्रिमंडल ने सर्वोच्च न्यायाल के आदेश के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी के 11वें अनुलग्नक में तीसरे लिंग को शामिल कर उसे मान्यता दी है।
प्रधान सचिव (कैबिनेट) ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि तीसरे लिंग को बिहार की पिछड़ी जाति की दूसरी अनुसूची में शामिल किया जाएगा और उन्हें सरकारी नौकरी में आरक्षण दिया जाएगा।