नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (आईएएनएस)। दिल्ली सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय के शुक्रवार के उस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाने का निर्णय लिया है, जिसमें सरकार के उस निर्णय को रद्द कर दिया गया है, जिसके तहत उसने राजधानी की तीन निजी बिजली कंपनियों के खातों की सीएजी से ऑडिट कराने के आदेश दिए थे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि उच्च न्यायालय का फैसला दिल्ली के लोगों के लिए और उस वादे के लिए एक अस्थायी झटका है, जिसमें उन्होंने लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने का वादा किया था।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में बिजली कंपनियों की उस आपत्ति पर अपनी मुहर लगा दी, जिसमें कंपनियों ने अपने बही-खातों की जांच सीएजी से कराने के दिल्ली सरकार के आदेश का विरोध किया था।
केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश दिल्ली की जनता के लिए एक अस्थायी झटका है। दिल्ली सरकार जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी।”
केजरीवाल ने कई सारे ट्वीट में कहा, “मैं दिल्ली की जनता को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए बचनबद्ध हूं। हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”
इसके पहले दिल्ली उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. रोहिणी और न्यायमूर्ति आर.एस. एंडलॉ की पीठ ने तीनों बिजली कंपनियों के बही-खातों की सीएजी द्वारा ऑडिट कराने के सरकार के निर्णय को रद्द कर दिया।
आप सरकार ने जनवरी 2014 में तीनों बिजली कंपनियों के खातों की सीएजी से जांच कराने के आदेश दिए थे। बिजली कंपनियों पर आरोप थे कि उन्होंने अपने खर्च बढ़ा-चढ़ा कर दिखाए हैं।
उच्च न्यायालय का यह आदेश टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन, बीएसईएस राजधानी पॉवर और बीएसईएस यमुना पॉवर द्वारा दायर याचिकाओं पर दिया है। कंपनियों ने दिल्ली सरकार के निर्णय का विरोध किया और कहा कि वे सरकारी निकाय नहीं हैं और निजी कंपनियां सीएजी के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।